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(92) श्रीमालोओमां पण उपर जणावेला पुनयना का रणथी वीसा श्रीमाली, अने दशाश्रीमाली एम के मुख्य शाखाओ थयेली है. परंतु हालमा से दशाश्रीमालीओमांथी पण ते पुनर्लननो रीवाज घणावरा देशोमांथी निकली गयेलो .
आ पुस्तकमा जे जे गोत्रनी जे जे गोनदेवीना करो विगेरे लख्या के, ते करो ना माचीन लेखने अनुसारे
मी जेवा लख्या हता तेवा वाप्या है, परंतु से सैकडो व पीपलानां मूल करो है. आज काल घृणा गोत्रोनी गोदना ने करो विगरेमा कालने योगे कोह कोह कारणोथी वो फेरफार वयेलो जणाय थे, माटे तेना संववमा विश्रममां नही पडवा सर्व भाइओने विनंति है. ली. का पुस्तक छापी मसिद्ध करनार पंडित श्रावयः हीरालाल हंसराज लालन
जामनगरवाळा )
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