Book Title: Jain Dharma ki Pramukh Sadhviya evam Mahilaye
Author(s): Hirabai Boradiya
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi
View full book text
________________
प्रकाशकीय
'जैन धर्म की प्रमुख साध्वियों एवं विदुषी महिलाएँ' नामक यह ग्रन्थ पाठकों के कर कमलों में प्रस्तुत करते हुए हमें अतीव प्रसन्नता का अनुभव हो रहा है। भारतीय धर्मों में नारी को पुरुष के समकक्ष स्थापित करने में जैन धर्म विशेष रूप से अग्रणी रहा है। पाश्र्वनाथ विद्याश्रम शोध संस्थान ने इसके पूर्व भी 'जैन एवं बौद्ध आगमों में नारी जीवन' तथा 'जैन और बौद्ध भिक्षुणी संघ' नामक ग्रन्थ प्रकाशित कर जैन धर्म में नारी की महत्ता को स्पष्ट करने का प्रयत्न किया । उसी क्रम में हम 'जैन धर्म की प्रमुख साध्वियाँ एवं विदुषी महिलाएँ' नामक यह शोध प्रबन्ध प्रकाशित कर रहे हैं।
प्रस्तुत ग्रन्थ की लेखिका डॉ० (श्रीमती) हीराबाई बोरदिया हैं। प्रस्तुत कृति उनके उस शोध प्रबन्ध का ही संशोधित एवं संक्षिप्त रूप है, जिस पर उन्हें देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इन्दौर द्वारा पी-एच० डी० की उपाधि से सम्मानित किया गया था। उन्होंने अपनी इस कृति को पार्श्वनाथ विद्याश्रम को प्रकाशनार्थ प्रदान किया, अतः पाश्वनाथ विद्याश्रम परिवार उनके प्रति आभार व्यक्त करता है। ज्ञातव्य है कि डॉ० हीराबाई बोरदिया भारत के सुप्रसिद्ध क्षय-रोग चिकित्सक पद्मश्री नन्दलाल जी बोरदिया की धर्मपत्नी और (डॉ.) स्वामी ब्रह्मेशानन्द की माता हैं। उनके पति की लोकसेवा तो सर्व विश्रुत है ही, उनके पुत्र ने भी संन्यास ग्रहण करके अपने को मानव सेवा के प्रति समर्पित कर दिया है। पति एवं पुत्र की इस सेवा भावना के मूल में हीराबाई बोरदिया की भी महत्त्वपूर्ण भूमिका रही होगी, इस तथ्य को विस्मृत नहीं किया जा सकता है । आज तिहत्तर वर्ष की वय में भो हीराबहन में अध्ययन की जो अभिरुचि है, वह स्पृहणीय है। हमें आशा है कि उनकी प्रस्तुत कृति से पाठक वर्ग जैन धर्म को प्रमुख साध्वियों एवं विदुषी महिलाओं के जीवनवृत्त से परिचित होगा और उनके सामाजिक योगदान का सम्यक् मूल्यांकन कर सकेगा।
प्रस्तुत ग्रन्थ के सम्पादन, प्रकाशन एवं भूमिका लेखन में संस्थान के निदेशक डॉ. सागरमल जैन ने जो परिश्रम किया है, उसके लिए उनके ति प्र आभार प्रकट करना मात्र औपचारिकता ही होगी। प्रस्तुत भूमिका
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org

Page Navigation
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 ... 388