Book Title: Jain Dharm evam Sahitya ka Sankshipta Itihas Author(s): Sagarmal Jain Publisher: Prachya Vidyapith Shajapur View full book textPage 5
________________ प्रकाशकीय - डॉ. सागरमल जैन विद्या के अधिकृत विद्वान हैं। उन्होंने हमारे आग्रह पर "जैन धर्म एवं साहित्य का इतिहास" पर अत्याधिक परिश्रम पूर्वक यह ग्रन्थ तैयार किया है। अब वे अपने जीवन के 8 3 वें वर्ष में चल रहे हैं, फिर भी जन सामान्य के उपयोग के लिए उनके द्वारा रचित यह ग्रन्थ प्रकाशित किया जा रहा है। ग्रन्थ की भाषा प्रवाह युक्त, सरल एवं सुबोध है / हमें आशा है कि जैन जगत इस कृति का अध्ययन कर जैन विद्या के क्षेत्र में अपने ज्ञान की अभिवृद्धि करेगा। नरेन्द्र जैन . सचिव प्राच्य विद्यापीठ, शाजापुर (म.प्र.)Page Navigation
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