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જૈનધર્મ વિકાસ
सरलता पत्र
ले. मुनिहेमेन्द्रसागर परमार्थी आत्मन्
___ बहुत दिनोंसे आपके पत्रकी प्रतिक्षाकररहाथा कि आज पत्र मिलने पर अकथनीयआनन्दसंप्राप्त हुआ। अत एव फीर भी इसी प्रकार अनुग्रह करते रहें। सदैव मित्रों के पत्र से प्रेरणा प्राप्त कर मेरे जीवन को सदा आनन्दित रखता हूं । विशेष कर मुझे सरल गुण वाले मित्रों के प्रति अत्यन्त प्रेम है। वही मेरे सच्चे मार्गदर्शक है।
जीवन मेंसरलता अति उपयोगी वस्तु है। महान् आत्माओंको यह गुण प्राप्त होता है। पुण्यबलसे मानवता संप्राप्त होती है, मानवी जीवन में ही गुण प्राप्त हो सकता है । सद्गुणों से मनुष्य जन्म सफलता को प्राप्त होता है।
___गुणविविधहोते हुए भी सरलता सर्व श्रेष्ठ गुण माना गया है। सरलता से क्षमा, निर्लोभता, सत्य आदि गुण प्राप्त हो सकते हैं। इस महान् धर्मों में सरलता (आर्जव कूड कपट से रहितपना से रहना) मुख्य माना गया हैं । मनसा, वाचसा, कर्मणा से कापट्य भाव का त्याग करने वाला सद् धर्म की प्राप्ति करने योग्य बनता है। कर्म बन्धके अनेककरणों से कुटिलता भी एक कारणमाना है, जिससे आत्मा मलीनता प्राप्त करके अनेक योनियों में परिभ्रमण करती हुई दुर्गति को प्राप्त करती है इस लोक में कापट्य पूर्ण जीवनधारी आत्मा निन्दा अपयश को प्राप्त कर निन्दित होता है।
आत्मश्रेयार्थी सरलता (आर्जवता) कोही जीवनमें अति उपयोगी साधन मानते है, इसलिये प्रत्येक व्यक्ति सरलता को आदरकी दृष्टिसें देखना चाहिये ।
सजनोंके जीवनमें यदि कोई विशिष्टताहै तो वह सरलता ही हैं। हृदयमें हो वैसा ही मन और आचरण में हो वही सज्जन (साधु) माने जाते हैं।
चित्ते वाचि क्रियायां च, साधूनामेकरूपता।'
साधुजनोंके मन, वचन और आचरण में एकता होती है माया, कपट, दम्भका परित्यागकरनेसें सरलता प्राप्त होती है। इससे मनःशुद्धि होती है। मनःशुद्धि में धर्माचरणकी योग्यता प्राप्त होती है, धर्माचरणसें सद्गति अर्थार्थ निःश्रेयस् ( मोक्ष ) प्राप्त होता है।
___दम्भी मायावी का धर्माचरण, व्रत; तप, जप, संयम आदि निष्फल हो जाते है मोक्षाभिलाषियों को मोक्ष प्राप्ति करने में सरलता सहायभूत बनती है, सरल आत्माओं को सम्यग् दर्शन, ज्ञान, चारित्रादि महागुणों की प्राप्ति होती है, जिससे वे अजर अमर