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विषयानुक्रम
१. पृष्ठभूमि और सामान्यावलोकन १ - २६
कर्मभूमिका प्रारम्भ
आद्य तीर्थङ्कर
तीर्थङ्कर नेमिनाथ तीर्थङ्कर पार्श्वनाथ
तीर्थङ्कर महावीर
सत्य एक और त्रिकालाबाधित जैनधर्म और दर्शनके मूल मुद्दे
जैन श्रुत दोनों परम्पराओंका आगमश्रुत
श्रुतविच्छेदका मूल कारण
कालविभाग
सिद्धान्त - आगमकाल
१ शापकतत्त्व
२ कुन्दकुन्द और उमास्वाति
५ पूज्यपाद
६ अनेकान्तस्थापनकाल
६ समन्तभद्र व सिद्धसेन
८
पात्रकेसरी व श्रीदत्त
८
९
११
१२
१३
१४
प्रमाणव्यवस्यायुग
जिनभद्र और अकलंक
२७
दर्शन की उद्भूति दर्शन शब्दका अर्थ
२८
दर्शनका अर्थ निर्विकल्पक नहीं ३१
दर्शनकी पृष्टभूमि
३२
दर्शन अर्थात् भावनात्मक
साक्षात्कार
दर्शन अर्थात् दृढ़प्रतीति ३४
उपायतत्त्व
नवीन न्याययुग
उपसंहार
२. विषयप्रवेश
१७
१८
१९
१९
१९
२०
२१
२१
२२
२५
२६
२७-४७
जैन दृष्टिकोण से दर्शन अर्थात् नय ३५
सुदर्शन और कुदर्शन
३७
३८
दर्शन एक दिव्यज्योति भारतीय दर्शनोंका अन्तिम
लक्ष्य
३३ दो विचारधाराएँ
युगदर्शन
३९
४२
४५