Book Title: Jain Bhajan Sangraha 01
Author(s): Fatehchand Chauthmal Karamchand Bothra Kolkatta
Publisher: Fatehchand Chauthmal Karamchand Bothra

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Page 12
________________ औदारिक । दश योग किण में पावे ? तौजे गुणस्थान में-४ मन का, ४ बचन का, औदारिक, बैक्रय। २१ ग्यारह योग किण में पावे ? नारको में- ४ मन का, ४ बचन का, बैक्रय, बैक्रय मिश्र, कामगा। १२ बारह योग किण में पावे ? 'श्रावक में (आहारिक, आहारिक मिश्र, कार्मण टलया)। १३ तेरह योग किण में पावे ? तिथंच में (आहारिक, आहारिक मिश्र, टलया)। १४ चउदह योग किण में पावे ? मन योगी में (कार्मण टलो)। १५ पद्रह योग किण में पावे ? समजीव में। ६ नवमें बोले उपयोग बारह १२ १ एक उपयोग किण में पावे ? बाटे बहता सिद्धां में केवल ज्ञान। २ दोय उपयोग किण में पावे। सिद्धां में केवल ज्ञान, केवल दर्शन। ३ तीन उपयोग किण में पावे ? एकेन्द्रौ में

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