Book Title: Jain Bhajan Sangraha 01
Author(s): Fatehchand Chauthmal Karamchand Bothra Kolkatta
Publisher: Fatehchand Chauthmal Karamchand Bothra

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Page 11
________________ दाणा में औदारिक । २ दोय योग किण में पावे ? उड़ती माखौ में औदारिक, व्यवहार भाषा । ३ तीन योग किण में पावे ? तेउकाय में प्रौदो रिक, औदारिक मिश्र, कार्मण । ४ चार योग किण में पावे ? बेइन्द्री में' औदा रिक, औदारिक मिश्र, व्यवहार भाषा, कामण । ५ पांच योग किण में पावे ? वाउकाय में औदा रिक, औदारिक मिश्र, बैक्रय, बैक्रय मिश्र, कार्मण। ६ छव योग किण में पावे ? असन्नी में औदा. रिक, औदारिक मिश्र, बैक्रय, बैक्रय मिश्र, व्यवहार भाषा, कार्मण । ७ सोत योग किण में पावे ? केवलयां में -सत्य मन, व्यवहार मन, सत्यभाषा, व्यवहार भाषा, औदारिक मिश्र, कार्मण । ८ साठ योग किण में पावे ? तौजे गुणस्थान में - .. नेमां ४ मन, ४ वचन को। ६ नव योग किया में पावे ? परिहार विशुद्ध चारित्र में -४ मन का, ४ बचन का, १

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