Book Title: Jain Bhajan Sangraha 01
Author(s): Fatehchand Chauthmal Karamchand Bothra Kolkatta
Publisher: Fatehchand Chauthmal Karamchand Bothra

View full book text
Previous | Next

Page 9
________________ 3 7 ( ३ ) धिया में आहार प्रर्याय | २ दोय प्रयय किण में पावे? इन्द्रौ प्रर्यायरे अलधिया में आहार, शरौर । ३ तीन प्रर्याय किया में पावे ? एकेन्द्री अपर्याप्ता में आहार, शरीर, इन्द्री । ४ चार प्रर्याय किण में पावे ? एकेन्द्रों में ( मन, भाषा टली ) । ५ पांच प्रयय किरण में पावे ? माखो में पावे (सन प्रर्याय टली ) । ६ छव प्रर्याय किण में पावे ? समचै जौव में । ६ कट्ठे बोले प्राण दश १० ―――――― १ एक प्राण कि में पावे ? चउदमें गुणस्थान में आयुष बल प्राण | २ दोय प्राण किग में पावे? बाटे बहता जीव मेंकाया, आयुष | ३ तीन प्राण किग में पावे ? एकेन्द्री अपयाप्ता मेंस्पर्श, काया, आयुष । ४ चार प्राण किण में पावे ? एकेन्द्रो में - स्पर्श, काया, श्वासोश्वास, आयुष । ५. पांच प्राण किण में पावे ? तेरहवें गुणस्थान में ( पांच इन्द्रियां का टल्या ) !

Loading...

Page Navigation
1 ... 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 ... 193