Book Title: Jain Bhajan Sangraha 01 Author(s): Fatehchand Chauthmal Karamchand Bothra Kolkatta Publisher: Fatehchand Chauthmal Karamchand Bothra View full book textPage 7
________________ पञ्चीस बोल की चरचा। । पहले बोले गति चार ४ १ एक गति किग्रा में पावे ? मनुष्य में पावे। २ दोय गति किणा में पाये ? श्रावक में मनुष्य, तिथंच। ३ तीन गति किगण में पावे ? नमसक वेद में पावे, ( देवता टल्यो )। ४ चार गति किण में पावे ? समचे जीव में। २ द जे बोले जात पांच ५-~ १ एक जात किण में पावे ? एकेन्द्री में । २ दोय जात किगल में पावे ? बैक्रेय शरीर में-- , एकेन्द्रौ, पंचेन्द्री। ३ तीन जात किण में पावे ? तीन विकलेन्द्रौ में। ५ चार लात किण में पावे ? बसकाय में (एकी न्द्री टली)। ५ पांच जात किण में पावे ? समचै जीन में। . ३ तौजे बोले काय छव ६Page Navigation
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