Book Title: Isibhasiyaim ka Prakrit Sanskrit Shabdakosha
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad

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Page 85
________________ ८० इसिभासियाई परिघातहेडं परिघातहेतुम् 35.77.14 | परिभोगे परिभोगः 9.17.14 गा.3 परिच्चज्ज परित्यज्य 38.85.11 गा.4 | -परियट्टइ -परिवर्तते (देखो, अणुपरियट्टइ) परिच्छती परीक्ष्यते 38.87.28 गा.27 -परियट्टति -परिवर्तते (देखो, -परिजणं -परिजनम् (देखो, सपरिजणं) अणुपरियट्टति) । - परिजणे -परिजनः (देखो,-परियट्टन्ति -परिवर्तन्ते (देखो, ससयणपरिजणे) | अणुपरियट्टन्ति) -परिजणो -परिजनः (देखो, अपरिजणो) परियट्टयन्ति परिवर्तयन्ते 21.41.5 परिजाणिऊणं परिज्ञाय 17.35.16 गा.7| -परियत्तते परिवर्तते (देखो, संपरियत्तते) -परिणतं -परिणतम् (देखो, सत्थपरिणतं)| परियत्तन्तवुक्कम परिवर्तन्तव्युत्क्रमम् -परिणता -परिणताः (देखो, गमणपरिणता)/ 28.61.10 गा.6 परिणमति परिणमति 11.23.13, 25.1 -परियन्ते -पर्यन्तः (देखो, तयपरियन्ते) परिणामं परिणामम् 31.67.20 परिवज्ज परिवर्ण्य 21.41.6 परिणामप्पभवा परिणामप्रभवाः 31.67.20/ परिवज्जए परिवर्जयेत् 35.79.4 गा.10 परिणामे परिणामः 11.25.2; 31.69.9 परिवारे परिवारे 38.87.23 गा.25, 24 परिण्णस्स -परिज्ञस्य (देखो, कोध-माण-| परिवित्तसन्ति परिवित्रसन्ति 2.3.23 गा.2 परिण्णस्स) | परिविद्धंसन्ति परिविध्वंसन्ति 35.77.13 परिण्णाए परिज्ञाय 7.15.3 गा.3, 6/-परिखुडे -परिवृत्तः (देखो, सुसव्वपरिखुडे) गा.4 | परिव्वए परिव्रजेत् 3.7.9 गा.6; 7.15.4 -परिण्णाणं -परिज्ञानम् (देखो, गा.3, 5 गा.4; 15.29.20 गा.2 कम्मपरिणाणं, कम्ममोक्खपरिण्णाणं,-परिव्वए -परिव्रजेत् (देखो, संपरिव्वए) रोगपरिण्णाणं, रोगोसहपरिण्णाणं) परिव्वएज्जासि परिव्रजेत् 7.15.6 गा.4 -परितन्ते -पर्यन्त (देखो, तयपरितन्ते) | परिव्वायए परिव्राजकः 25.53.2 परितप्पति परितपति 4.9.14 गा.9 -परिव्वायएणं -परिव्राजकेन (देखो, परितालेति परिताडयति 34.75.3, 9 माहणपरिव्वायएणं) परितावेति परितापयति 34.75.39 | परिव्वायगं परिव्राजकम् 25.53.4 -परिनिव्वुडे -परिनिवृत्तः (देखो, -परिव्वायगेण -परिव्राजकेन (देखो, माहण सव्ववीरियपरिनिव्वुडे) ___ परिव्वायगेण) परिनिव्वुडे परिनिर्वृत्तः 1.3.10 गा.2 | -परिसाडिणो -परिशाटिनः (देखो, परिनाय परिज्ञाय 12.25.18 ___ अपरिसाडिणो) परिन्नाता परिज्ञाताः 3.7.18 गा.11 | परिसाडी परिशाटि 22.43.2 परिभवणाई परिभवनानि 9.17.5 | परिसामज्झे परिषद्मध्ये 4.9.11 गा.8 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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