Book Title: Isibhasiyaim ka Prakrit Sanskrit Shabdakosha
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad

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Page 119
________________ ११४ इसिभासियाई गा.9; 9.19.11 गा.17, 12, 301 पडण...विद्धंसणधम्म) गा.26; 10.21.23, 23.3;/ विकीतं विक्रीतम् 41.91.8 गा.2 12.25.23 गा.1; 14.27.25, 27;/ विक्कन्ता विक्रान्ताः 24.47.23 गा.7 16.33.20; 19.37.14 गा.3;/ विगतधूमं विगतधूमम् 25.55.2; 21.41.21 गा.7, 25 गा.9, 27 गा.10;1 35.77.18 22.43.7, 10, 17 गा.4; 24.47.2,| विगतरागता विगतरागत्वम् 25.55.6 21 गा.6; 25.53.6, 6, 55.4, 6, 7;| विगर्तिगालं विगताङ्गारम् 25.55.2; 27.59.8 गा.2, 13 गा.5; 28.61.12| 35.77.18 गा.7, 17 गा.10, 63.13 गा.23, 15| विगरहाति विगर्हति 4.9.29 गा.17 गा. 24;29.63.24 गा.3, 65.12| विग्घो विघ्न: 22.43.21 गा.6 गा.18; 30.65.28 गा.5; 31.69.20;/ विच्छिन्दइ विच्छिनत्ति 34.75.10 32.71.5 गा.1, 11 गा.4;33.71.26 विच्छिन्दति विच्छिनत्ति 34.75.14 गा.5, 28 गा.6,73.13 गा.14, 14,15| विच्छिन्देज्ज विच्छिन्देत् 34.75.13 गा.15; 34.77.2, 2 गा.3; 35.79.6/ विजाणति विजानाति 11.25.12 गा.5 गा.11; 36.81.15 गा.5, 16 गा.6, 20/ विजाणाति विजानाति 4.9.20 गा.12; गा.8, 24 गा.10, 31 गा.12;/ 17.35.14 गा.6 38.85.20 गा.8, 23 गा.9, 87.8] विजाणित्ता विज्ञाय 45.97.16 गा.19 गा.17, 9 गा.18; 39.89.11 गा.4, 15| विजाणेज्जा विजानीयात् 33.73.8 गा.11 गा.1; 41.93.4 गा.14, 11 गा.16;| विज्जं विद्याम् 11.25.11 गा.4; 17.35.3 45.97.6 गा.14,8 गा.15, 13 गा.18, | गा.1 19 गा.21, 99.3 गा.29, 101.15,| विज्जति विद्यते 34.73.28, 75.4, 11, 16 गा.50 __ 15, 19 विकप्पं विकल्पम् 28.63.12 गा.23 विज्जती विद्यते 4.9.35, 35 गा.20; -विकप्पिओ -विकल्पिकः (देखो, 9.21.4 गा.30; 34.75.24 मा.2 देससव्वविकप्पिओ) विज्जा विद्या 17.35.2 गा.1, 5 गा.2; -विकप्पिया -विकल्पिताः (देखो, णाणागो- 45.97.9 गा.16 यविकप्पिया) -विज्जा -विद्या (देखो, महाविज्जा) -विकह- -विकथा- (देखो, चउविकह-| विज्जाए विद्यया 9.19.18 गा.20 विवज्जिए, चउविकहविवज्जिता) | -विज्जाण -विद्यानाम् (देखो, सव्वविज्जाण) विकिचित्ता विविच्य 3.7.8 गा.6 | विज्जाणं विद्यानाम् 21.41.25 गा.9, 27 -विकिरण- -विकिरण- (देखो, सडण- गा.10 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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