Book Title: Isibhasiyaim ka Prakrit Sanskrit Shabdakosha
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad

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Page 120
________________ अशेष-शब्द-कोश ११५ विज्जामन्तोपदेसेहिं विद्यामन्त्रोपदेशैः। -विणिच्छए -विनिश्चये (देखो, कज्जाकज्ज___41.91.27 गा.11 विणिच्छए) विज्जोपयारविण्णाता विद्योपचारविज्ञाता | -विणिच्छये -विनिश्चये (देखो, धम्माधम्म___ 11.25.10 गा.4 विणिच्छये, सव्वविणिच्छये) विज्जोसहिणिवाणेसु विद्यौषधिनिपानेषु विणिच्छितं विनिश्चितम् 17.35.7 गा.3 9.19.9 गा.16 विणिज्जति विनीयते 35.77.22 (4 बार) विज्झाए विध्यातः 10.23.3 -विणिम्मुक्का -विनिर्मुक्ताः (देखो, कामग्गहविज्झाहिति विक्षायिष्यति 25.55.16, 19| विणिम्मुक्का) विणए विनये 5.11.12; 26.57.16 गा.9| विणीयं विनीतम् 45.101.18 गा.51 -विणओवयार- -विनयोपचार- (देखो, विण्णर्ति विज्ञप्तिम् 23.45.13 जाति-कुल... सालिणी) विण्णाणं विज्ञानम् 45.99.11 गा.33 -विणय- -विनय-(देखो, संगतविणयोव-|-विण्णाणं -विज्ञानम् (देखो, सविण्णाणं) गारसालिणीओ) -विण्णाता- -विज्ञाता-(देखो, विज्जोपयारविणासं विनाशम् 3.7.10 गा.7;21.41.21/ विण्णाता) |विण्णाय विज्ञाय 24.51.26 गा.39 -विणासं -विनाशम् (देखो, विण्णासो विन्यासः 21.41.24 गा.9, 26 दुक्खुप्पत्तिविणास) गा.10 -विणासणं -विनाशनम् (देखो, | विण्णेयं विज्ञेयम् 9.19.20 गा.21; पुण्णपावविणासणं, मूलविणासणं, 38.87.22 गा.24 लोगविणासणं, विसदोसविणासणं) |विण्णेया विज्ञेया 22.43.18 गा.4 -विणासणा -विनाशनौ (देखो, वितरन्ति वितरन्ति 28.63.2 गा.18 बम्भचेरविणासणा) | वित्तं वित्तम् 28.61.30 गा.16 विणासाय विनाशाय 35.79.1 गा.9;/-वित्तं -वित्तम् (देखो, सवित्तं) 38.85.17 गा.6 |वित्तकन्तिसमत्थो वृत्तकान्तिसमर्थः विणासी विनाशी 22.45.4 गा.12 24.49.30 गा.25 -विणासी -विनाशी (देखो, अविणासी) |-वित्तसन्ति -वित्रसन्ति (देखो, परिवित्तसन्ति) विणिग्घायं विनिर्घातम् 24.51.2 गा.27-वित्ति- -वृत्तिः (देखो, फलवित्तिविसेसे) विणिघातं विनिघातम् 15.31.8 गा.11;/-वित्ती -वृत्तिः (देखो, निरवज्जवित्ती) 24.47.4 वित्तेण वित्तेन 36.81.3 विणिघायं विनिघातम् 16.33.17;| वित्तेसणं वित्तैषणाम् 12.25.18 45.95.16; गा.4 | वित्तेसणा वित्तैषणा 12.25.17, (2 बार) गा.7 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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