Book Title: Isibhasiyaim ka Prakrit Sanskrit Shabdakosha
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad
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१२८
इसिभासियाई सम्भग्गगातलट्ठी संभग्नगात्रयष्टि: 21.41.19 15 गा.34; 25.53.6, 7, 9, 15 गा.6
सयंकडेणं स्वयंकृतेन 2.5.1 गा.3 सम्मं सम्यक् 9.17.13 गा.2, 17 गा.4, सयक्कऊ शतक्रतुः 43.93.22 गा.1
19.13 गा.18, 17 गा.20, 21 गा.22, सयणमित्तबंधु- वग्गमरणाई स्वजनमित्र32 गा.27, 21.10 गा.33; 11.25.12| बन्धुवर्गमरणानि 9.17.3 गा.5; 15.29.20 गा.2; 17.35.7] सयणासणं शयनासनम् 5.11.15 गा.1; गा.3, 9 गा.4, 16 गा.73; 20.39.16; 38.85.7 गा.2, 9 गा.3 24.51.23 गा.38; 29.65.2 गा.13, सयणासणेहिं शयनासनेष 4595.10 गा.2 9 गा.17; 33.73.20 गा.17;
|सया सदा 9.17.27 गा.9; 27.59.8 गा.2 34.73.25, 29 75.5, 11, 15, 19;
| सरं सर: 15.31.26 गा.20; 45.99.1 35.79.1 गा.9; 38.85.14 गा.5%;
गा.2 39.89.13; 44.93.28; 45.99.22
सरणं शरणम् 38.87.13 गा.20;45.99.6 गा.38, 101.21 गा.53
गा.30 सम्मग्गं सन्मार्गम् 6.13.10 गा.5 सम्मत्तं सम्यक्त्वम् 9.19.13 गा.18;
| सरण्णस्स शरण्यस्य 45.99.19 गा.37 26.57.18 गा.10; 33.73.20 गा.17;|
-सरति -सरति (देखो, संसरति) 38.87.7 गा.17
सरन्तो सरन् 21.41.15 गा.4 सम्मत्तणिरतं सम्यक्त्वनिरतम् 29.65.11| | सरबुद्धं सरोबुद्धम् 45.101.3 गा.44 गा.18
सरलत्तणं सरलत्वम् 24.47.28 गा.10; सम्मत्तणिरयं सम्यक्त्वनिरतम् 33.73.9) 36.81.18 गा.7 गा.12
सरसं सरसम् 45.97.1 गा.12 सम्मत्तनाणसंजुत्ते सम्यक्त्वज्ञानसंयुक्ते| सरा शराः 10.23.9 9.19.26 गा.24
सरागस्स सरागस्य 25.55.6 सम्मत्तसंजुतो सम्यक्त्वसंयुतः 9.19.28] सरियं सरितम् 24.47.18 गा.5 गा.25
-सरिसं -सादृशम् (देखो, पडिसुयासरिस) सम्मट्ठिी सम्यग्दृष्टिः 9.19.24 गा.23
| सरीरं शरीरम् 16.33.26 गा.3; सम्मामिच्छापओतेणं सम्यक्मिथ्याप्रयोगेन
20.39.19; 22.43.6 33.71.16
सरीरंसि शरीरे 22.43.6, 6 सयं स्वकम् 4.7.29 गा.2; 9.17.15 गा.3;
| सरीरजायं शरीरजातम् 34.75.10, 12 24.49.23 गा.22; 35.79.10 गा.13|
| सरीरदाहे शरीरदाहे 20.39.19 सयं स्वयम् 10.23.7; 24.51.13 गा.33,1
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