Book Title: Isibhasiyaim ka Prakrit Sanskrit Shabdakosha
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad

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Page 129
________________ १२४ इसिभासियाई संसारसागरं संसारसागरम् 3.5.17; सगाहं सग्राहम् 45.101.3 गा.44 21.41.14 गा.4 सगुणोदया स्वगुणोदया 22.43.18 गा.4 संसारसागरे संसारसागरे 6.13.15 गा.8 |-सग्गे -सर्गान् (देखो, परीसहोवसग्गे, संसारस्स संसारस्य 21.41.13 गा.3 णिरूवसग्गे) संसाराए संसाराय 16.33.22 गा.1 सच्चं सत्यम् 1.3.14, 14 संसाराय संसाराय 29.65.1 गा.13 -सच्चं -सत्यम् (देखो, अधासच्च) संसारे संसारे 2.5.9 गा.7, 11 गा.8; सच्चप्पेही सत्यप्रेक्षी 26.57.9 गा.6 9.17.10 गा.1, 21.8 गा.32; सच्चसंजुत्तेणं सत्यसंयुक्तेन 30.65.19 15.29.17 गा.1, 19 गा.2; 24.47.7, सच्छं स्वच्छम् 45.97.1 गा.12 16 गा.4, 49.18 गा.19, 51.26| सच्छंदगतिपयारा स्वच्छन्दगतिप्रचाराः गा.39; 36.81.17 गा.6; 45.99.20/ 6.13.15 गा.8 गा.37 सज्जं सद्यम् 24.47.19 गा.5 -संसारे -संसार (देखो, पहीणसंसारे, सज्जति सज्जति 3.5.22; 24.47.3 भयसंसारे, वोच्छिण्णसंसारे) | सज्जन्ति सजन्ति 25.53.5, 15 संसारो संसार: 21.41.9 गा.1 सज्जमाणे सजमान: 16.33.18 संसिया संश्रिताः 24.51.11 गा.32 सज्जेज्जा सजेत् 16.33.16, 19 सकम्मसित्ते स्वकर्मसिक्तः 2.5.2 गा.3 | सज्झायज्झाणोवगतो स्वाध्यायध्यानोपगतः सकामए सकामकः 14.29.1 (3 बार), 2 17.35.19 गा.8 (3 बार) सडण-पडण-विकिरण विद्धंसणधम्म सकिरिया सक्रियाः 25.53.11 __ शटनपतन-विकिरण-विद्धंसनधर्मम् सकुणी शकुनी 18.37.4 गा.1 24.47.4 -सक्कयं -संस्कृतम् (देखो, तेलोक्कसक्कयं)] -सड्ढे -श्राद्धः (देखो, मातंगसड्ढे) सक्का शक्या 3.7.16 गा.10; 24.49.4 सढ-णियडि-संकुलाई शठ-निकृतिगा.12; 36.81.10 गा.3 संकुलानि 4.9.8 गा.6 सक्का शक्या: 4.7.26 गा.1; 36.81.16| सढा शठाः 41.91.9 गा.2 सणरामरं सनरामरम् 6.11.26 -सक्कार- -सत्कार- (देखो, दाणमाण... -सण्डं -षण्डम् (देखो, पउमिणीसण्ड) संगहिते) -सण्डे -षण्डः (देखो, वणसण्डे) सखिखिणिताइं सकिङ्किणिकानि 10.23.4 सण्णा संज्ञा 35.79.21गा.19 सखेयं सख्यम् 27.59.9 गा.3 -सण्णा- -संज्ञा- (देखो, णाणासण्णासगाई स्वकानि 10.21.14 | भिसण्णितं) ( बार) गा.6 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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