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अमरकुमार राजा ने देश-विदेश से सिलावट बुलवाये और बड़े चतुर-चतुर कारीगर इकट्ठे किये । थोड़े ही समय में, मकान बनकर तयार हो गया और उसमें सुन्दर चित्र बनाये गये । किन्तु इतने ही में उस चित्रशाला का मुख्य दरवाजा टूटकर गिर पड़ा।
कारीगरलोग, फिर से काम पर लगे और बड़ी मिहनत करके दरवाजा खड़ा किया। किन्तु, वह पूरा होते ही फिर टूटकर गिर पड़ा।
कारीगरलोग, जब भी दरवाजा बनाकर तयार करते, तभी वह टूटकर गिर पड़ता । राजा परेशान होगया और सोचने लगा, कि अब क्या करना चाहिये ? अन्त में उसने हुक्म दिया, कि-" ज्योतिषी को बुलवाओ और ज्योतिष दिखलाओ, कि चित्रशाला का दरवाजा बार-बार क्यों टूट पड़ता है ?" ___ज्योतिषी बुलाये गये। दरबार खचाखच भरा था। राजा और प्रजा दोनों बड़ी उत्सुकता से मार्ग देखने लगे, कि देखें ज्योतिषीजी क्या कहते हैं। ज्योतिषी ने अपना पञ्चांग निकाला और ग्रह-दशा देखी । फिर, सिर हिलाते हुए उन्होंने अपना पञ्चांग बन्द कर लिया। राजा ने कहा" ज्योतिषीजी ! सिर क्यों हिला रहे हो ? जो कुछ हो, वह ठीक-ठीक कह क्यों नहीं देते ? " । ज्योतिषी ने फिर पत्रा खोला और ग्रह-दशा देखी । पत्रा देख चुकने पर उन्होंने