Book Title: Hindi Granthavali
Author(s): Dhirajlal Tokarshi Shah, Bhajamishankar Dikshit
Publisher: Jyoti Karayalay

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Page 390
________________ बगुलाभगत जान पड़ता है । साधुओं के वेश में अच्छे अच्छे सिपाहियों को लाया है। इन्हीं योद्धाओं की मदद से वह आपका राज्य छीनना चाहता है। यदि आपको इसका विश्वास करना हो, तो जहाँ वे साधुलोग ठहरे हैं, उस जगह को खुदवा डालिये, फिर अपने आप ही आपको सब हाल मालूम होजावेगा!" दण्डक राजा ने उस जगह को खुदवाया, तो वहाँ बहुतसे हथियार निकले । हथियारों को देखते ही राजा को बड़ा क्रोध आया। उसने प्रधान को आज्ञा दी, कि-" इन दुष्ठों को जो उचित जान पड़े, वह दण्ड दो । इनके लिये अब मुझसे कुछ भी न पूछना।" .. पालक प्रधान की चाल सफल हो गई। उसने मनुष्यों को मारनेवाला कोल्हू तयार करवाया और उसे बाग में लगवा दिया। फिर खन्धकाचार्य को यह हुक्म सुनाया, कि राजा के अपराधी होने के कारण, आप लोगों को कोल्हू में डालकर पेल डाला जावेगा। ____ यह हुक्म सुनाकर, उसने तत्क्षण अपना नीच कार्य शुरू कर दिया । खन्धकाचार्य, प्रत्येक साधु को अन्तिम समय में शान्त रहने का उपदेश देने लगे। एक-एक साधु शान्ति धारण कर के इष्टदेव का नाम स्मरण करता हुआ कोल्ह पर जाकर खड़ा होता और पालक प्रधान उसे पेलकर बड़ा प्रसन्न होता । इस तरह चार-सौ निन्नानवे साधुओं के प्राण उसने

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