Book Title: Hindi Granthavali
Author(s): Dhirajlal Tokarshi Shah, Bhajamishankar Dikshit
Publisher: Jyoti Karayalay

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Page 395
________________ ૨૨ होगया, अतः वह दीक्षा लेकर साध्वी बन गई। बहुत दिनों तक पवित्र-जीवन व्यतीत करके, अन्त में वह भी निर्वाणपद को प्राप्त होगई। पाठको ! एकाध बार शान्त-भाव से श्री खन्धक मुनि की यह सज्झाय गाना, कि: नमो नमो खन्धक मुनिवरजी, पूर्ण क्षमा के सागर जो रे ॥ शिवमस्तु सर्वजगतः

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