Book Title: Hindi Granthavali
Author(s): Dhirajlal Tokarshi Shah, Bhajamishankar Dikshit
Publisher: Jyoti Karayalay

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Page 381
________________ को जाते हैं"। अवन्तिसुकुमाल ने प्रार्थना की, कि-" तो आप मुझे दीक्षा दे दीजिये "गुरुदेव ने उत्तर दिया, कि" तुम यदि अपनी माता की आज्ञा ले लो, तो हमें दीक्षा देने में कोई आपत्ति नहीं है"। ____ अवन्तिसुकुमाल माता के पास गये और उनसे दीक्षा के लिये आज्ञा माँगी । माता यह सुनकर बड़ी दुःखी हुई और स्त्रियों को भी इससे बड़ा अफसोस हुआ। किन्तु, अन्त में समझ लेने के बाद, उन्होंने अपनी स्वीकृति दे दी। ___दीक्षा ले चुकने पर, अवन्तिसुकुमाल ने गुरु से प्रार्थना की, कि-" गुरुदेव ! मुझे तो वही मार्ग ग्रहण करना है, जिससे अत्यन्त शीघ्र मोक्ष प्राप्त होजाय । अतः यदि आप आज्ञा दें, तो मैं थूहर के वन में जाकर अनशन करूँ।" गुरुदेव ने फरमाया, कि-" जिससे तुम्हें सुख मिले, वह करो"। ___गुरु की स्वीकृति लेकर, अवन्तिसुकुमाल चले और नगर से थोड़ी ही दूरी पर, थूहर के एक भयानक-वन में पहुँचे । इस वन में प्रवेश करते ही, उनके पैर में थूहर का एक जबरदस्त काँटा चुभ गया, जिसके कारण पैर से रुधिर की धार बह चली। किन्तु अवन्तिसुकुमाल ने अपने हृदय में इसके लिये किंचित भी दुःख न माना । उन्होंने अनशन (उपवास) प्रारम्भ किया।

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