Book Title: Hemchandrika Vyakaranam
Author(s): Vijaylavanyasuri
Publisher: Gyanopasak Samiti

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Page 126
________________ ( १०७ ) अतनिष्ट, अतथाः, अतनिष्ठाः॥"षणयी-षण वाने" असात, असत, असनिष्ट ॥ इत्युभयपदम् ॥ अथात्मनेपदम् ॥ "वनूयी-वन् याचने" वनुते, ववने ॥ "मनूयिमन् बोधने" मनुते, मेने ॥ इत्यात्मनेपदम् ॥ [॥ इति तनादिगणः समाप्तः ॥२४॥ २५-अथ शानुबन्धः क्रयादिगणः ॥ तत्रोमयपदम् ॥ "क्रींगश-क्री द्रव्यविनिमये" क्रपादेः कर्तरि शिति 'ना-ना' स्यात् ॥१॥ क्रोणाति, क्रीणीतः, क्रीणन्ति ॥ “प्रहीश-ग्रह, उपादाने" गृह्णाति, व्यञ्जनात् श्नाहेः 'आनः' । गृहाण, अग्रहीत्, ग्रह इटोऽपरोक्षायां दीर्वः॥ अग्रहीष्टाम् ॥२॥ अथान्तर्गणः प्वादिः ।। "पूगश-पूपवने" प्वादेः शिति ह्रस्वः॥पुनाति ॥

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