Book Title: Gyanodaya Author(s): Taran Taran Gyan Samsthan Chindwada Publisher: Taran Taran Gyan Samsthan Chindwada View full book textPage 7
________________ वर्तमान की आवश्यकता..... तारण पंथ आध्यात्मिक क्रांति की देन है। तारण समाज अध्यात्म प्रधान समाज है। प्रत्येक मोक्षार्थी पुरुष का एक मात्र लक्ष्य संसार के दुःखों से मुक्त होने का रहता है, और यह आध्यात्मिक मार्ग इस लक्ष्य की पूर्ति में सबसे बड़ा सहायक हैं इस संदर्भ में स्मरणीय है - ज्ञानानन्द स्वभावी हो तुम, देखो खिला बसन्त है । आतम शुद्धातम पहिचानों, यही तो तारण पंथ है ॥ सोलहवीं शताब्दी के महान अध्यात्मवादी संत युग चेतना के प्रथम गायक युग दृष्टा आचार्य प्रवर श्रीमद् जिन तारण तरण मंडलाचार्य जी महाराज ने आज से लगभग ५५० वर्ष पूर्व संपूर्ण देश के भव्य जीवों के लिये बिना किसी भेदभाव के आत्म कल्याण का पथ प्रशस्त किया था। भारत कृतज्ञ है कि उसकी गोदी में एक ऐसा नक्षत्र करुणा और ज्ञान का संदेश लेकर आया जिसने अपनी महानता से भारत को महान बना दिया । मिथ्यात्व के गहन अंधकार में बाह्य क्रियाकाडों और आडम्बरों में I उलझे जनमानस को आत्म कल्याण का यथार्थ मार्ग बताया । T वर्तमान में तारण समाज में धार्मिक शिक्षा की अत्यंत आवश्यकता है । हमारी नई पीढ़ी को सुसंस्कारित करने हेतु शिक्षा ही सबसे बड़ा माध्यम है। धार्मिक आधार विचारों की शून्यता को दूर करने के लिये यही एक साधन है । विगत १५ - २० वर्षों से हम इस पवित्र कार्य के लिये प्रयासरत हैं जो साकार हो रहा है। सन् २००९ में श्रीमद् तारण तरण ज्ञान संस्थान के अंतर्गत श्री तारण तरण मुक्त महाविद्यालय की स्थापना की गई। यह महाविद्यालय पत्राचार के माध्यम से संपूर्ण देश में समाज के समस्त वर्गों में स्वाध्याय की रुचि को जाग्रत कर प्रवेशार्थियों को शास्त्री की उपाधि से अलंकृत करने के लिये कृत संकल्पित है। इसके माध्यम से हम समाज में प्रचलित समस्त भ्रान्तियों का उन्मूलन करने का भी प्रयास कर रहे हैं। हमारा लक्ष्य समाज में अच्छे वक्ता ओर श्रोता के गुणों का विकास करना भी है । पंचवर्षीय पाठयक्रम में जो विषय दिये हैं वे बहुत ही सटीक हैं, जिनके अध्ययन से प्रवेशार्थियों को जीवन के लिये कल्याणकारी ज्ञानोपार्जन की सुविधा होगी। महाविद्यालय में अध्ययन करने हेतु देश के कोने - कोने से प्रवेशार्थियों द्वारा प्रवेश लेने का जो उत्साह है वह अत्यंत प्रशंसनीय है | हम सभी प्रवेशार्थियों को मंगल भावना के साथ धन्यवाद ज्ञापित करते हैं, जिन्होंने महाविद्यालय में प्रवेश लेकर अध्ययन करने का संकल्प किया है, आप पंचवर्षीय पाठयक्रम पूर्ण कर सम्यग्ज्ञान के लक्ष्य को उपलब्ध करें, हमारी शुभकामनायें आपके साथ हैं। आप सभी का जीवन मंगलमय हो, इन्हीं मंगल भावनाओं सहित..... सिंघई ज्ञानचंद जैन बीना श्रीमंत सुरेशचंद जैन सागरPage Navigation
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