Book Title: Gyanodaya Author(s): Taran Taran Gyan Samsthan Chindwada Publisher: Taran Taran Gyan Samsthan Chindwada View full book textPage 6
________________ भगवान तथा राजा श्रेणिक का यह गेय संवाद गीति-नाट्य परंपरा का विलक्षण उदाहरण है | इसका स्वाध्याय बुद्धिपूर्वक आत्म तत्त्व का निर्णय करने में सहकारी है। ज्ञानोदय का तीसरा अध्याय छहढाला है। जैनदर्शन के मूल को समग्रतः सूक्ष्म दृष्टि से देखने की शैली विकसित करने वाला यह ग्रंथ पंडित प्रवर श्री दौलतराम जी की गेय कवित्व शक्ति का परिचायक है। वीतरागता का पोषण तथा विज्ञान के रूप में उसकी स्थापना; नई संस्कृति की विकृति में रत होनहारों के हृदय परिवर्तन में सहकारी सिद्ध होगी। इस अध्याय को प्रश्नोत्तर शैली में संजोया गया है। ज्ञानोदय का चौथा अध्याय सरस अध्याय है। श्री जिन तारण तरण कृत विशाल ग्रंथ श्री भय खिपनिक ममलपाहड जी की देव दिप्ति, ध्यावह, धर्म दिप्ति, चेतक हियरा फलना तथा जिनेन्द विंद छंद गाथा इसकी विषय वस्तु है । वास्तव में सहजानुभूति सहज ज्ञान योग है । ममल स्वभाव में संयुक्तता, ज्ञान से ज्ञान का अवलंबन परम पद की सिद्धि का उपाय है। ऐसा जानकर जिज्ञासु भव्य जीव मोक्ष पथ पर अग्रसर होंगे। देव गुरु शास्त्र धर्म के सत्स्वरूप को निरूपित करने वाले बा. ब्र. श्री बसन्त जी कृत देव वंदना, गुरु स्तुति, जिनवाणी का सार, धर्म का स्वरूप उक्त भावों को परिपुष्ट करते हैं। सभी अध्याय अध्ययन सुविधा और परिक्षोपयोगी दृष्टि से प्रश्नोत्तर शैली में लिखे गए हैं। विषय वस्तु की स्पष्टता हेतु चित्र, रेखाचित्र, छायाचित्र, शास्त्रोक्त उद्धरण, सूक्तियों को विषयानुरूप संपादित किया गया है। जो विद्यार्थियों को तथ्य सम्पन्न बनायेगा। परीक्षा योजना, मॉडल प्रश्नपत्र देकर पाठ्यक्रम की आवश्यकतानुसार संयोजित किया गया है। ज्ञानोदय वास्तव में ज्ञान के उदय का पर्याय बने इस हेतु अध्यात्म रत्न बाल ब्र.श्री बसन्त जी ने इसमें अपनी चिंतन साधना के अनमोल रत्न पिरोये हैं। पूर्व प्रकाशित पुस्तक के अनछुए, अनकहे पहलुओं को सारगर्भित कर परिष्कृत किया गया है। जो कुछ आवश्यकथा, संपादकों ने उसे संशोधित करने का प्रयास किया है तथापि त्रुटियाँ होना संभावित है। जिनका निदान पाठकों, सुधीजनों के चिंतन से ही अपेक्षित है। इस कार्य के संपादन में अनेक कर्मठ हाथों, चित्रकारों विचारवान बौद्धिक मस्तिष्कों का बहुमूल्य सहयोग प्राप्त हुआ है। उसके लिये हम सभी के प्रति कृतज्ञ हैं। डॉ. श्रीमती मनीषा जैन (उप प्राचार्य) श्री तारण तरण मुक्त महाविद्यालय छिंदवाड़ा (म.प्र.)Page Navigation
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