Book Title: Gyandhara
Author(s): Gunvant Barvalia
Publisher: Saurashtra Kesari Pranguru Jain Philosophical and Literary Research Centre
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महान वैज्ञानिक आइजेक न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण के तीसरे नियम के अनुसार - क्रिया एवं प्रतिक्रिया समान एवं विपरीत दिशाओ में होती हैं।
हिप्नोटीक ट्रान्स की मदद से एक हजार से भी अधिक लोगों के पुनर्जन्म का अध्ययन करने के बाद डॉ. एलेकजैन्डर केन ने लिखा है - गत जन्म में किए दुष्कर्म के बदले में वह व्यक्ति क्रिया प्रतिक्रिया के नियम से संबंद्ध, इस जन्म में दुःखी होता है। यह अध्ययन प्रकृति तंत्र में व्यापक अर्थ में व्याप्त न्याय का संदर्भ हमें समझा जाता है। भारत के सुविख्यात अणविज्ञानी डॉ राजा रमण्णा का भी मानना था कि विज्ञान चाहे कितनी ही प्रगति करे, कितने ही आविष्कार करे, कुछ तात्त्विक प्रश्न तो हमारे सम्मुख रहेंगे ही। हम वैज्ञानिक दृष्टि से सुस्पष्ट स्वरूप में इसका उत्तर कभी प्राप्त नहीं कर सकेंगे। तत्त्वज्ञान एवं धर्म दोनों को साथ रखकर ही हमारा जीवन व्यतीत कर सकते हैं। कर्म का सिद्धांत
___ हमारा वर्तमान जीवन तथा प्रतिभा हमारे पूर्व जन्मों का कुल जोड़ है। हम जैसे कर्म करेंगे उसका प्रतिघोष ही हमें मिलेगा। जब हम कोई बुरा कर्म करते हैं तो क्या हम सोचते है कि इस बुरे कर्म का प्रतिघोष अर्थात् फल क्यां होगा? यदि भूल से भी हम कोई बुरा कर्म कर बैठते है तो क्या हम सोचते हैं कि हमें इसका फल भुगतना पडेगा? बुरे कर्मों का फल पीड़ादायक तथा दुःखदायक अवश्य रूप से होगा और उसे हमे ही भुगतना होगा। हमें चाहिए कि हम अच्छे कर्म करे, हमारे मन को तथा दूसरों के मन को भी शांति तथा सुख देनेवाले कर्म करते रहे, फल की चिंता न करें।
જ્ઞાનધારા
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જૈનસાહિત્ય જ્ઞાનસત્ર-૨)
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