Book Title: Gunkittva Shodshika
Author(s): Vinaysagar
Publisher: ZZ_Anusandhan

View full book text
Previous | Next

Page 21
________________ अनुसन्धान-५६ श्रीमुरीबाई-तेरमास (हरखासुत-शिवराजकृत) - संपा. रसीला कडीआ वि.सं. १८९२मां रचायेल 'श्रीमुरीबाई-महासतीना तेरमास'नी हस्तप्रत 'श्री कोडाय जैन महाजन भण्डार'मांथी प्राप्त थयेल हती. कुल ५२ गाथामां आ तेर मास निरूपाया छे. मागशर सुद १३ने गुरुवारना रोज तेनी रचना थयेली छे. रचनाकार श्रीशिवराज (सवराज) लोंकागच्छनो श्रावक छे. ते सायलानो निवासी छे. तेना पितानुं नाम हरखा छे. जैन गुर्जर कवि भा. ६, पृ. ३१२-३१३ पर आ कृतिनी नोंध 'मूलीबाईना बारमास-५२ गाथा' ओम मूकी छे. प्रस्तुत कृतिनो 'तेरमास'थी उल्लेख छे. जै.गू.क. मां कृतिना आरम्भ-अन्त आ प्रमाणे छ : आदि : हुं तो नमुं सिद्ध भगवंत, मुकी मन आमलो रे गुण गाउं मुलीबाई सती, सहुको सांभलो रे सती श्रावण सुंदर मास, कैसे रे वखाणुं रे जेहनी साख सिद्धांत मोझार, वदवा न जाणुं रे अंत : संवत अढार बांणुओ, जोड्या मागसीर मास रे तीथि तेरस में गुरुवार, पख अजवास रे मूलीबाई तणो महिमा, चउ दस गाजे रे भणे हरखासुत सवराज, सायलामां बिराजे रे आ प्रत राजकोटना प्राणजीवन मोरारजी शाह पासे होवानुं नोंधायुं छे. आ प्रतमां मुरीबाईनो उल्लेख मुलीबाई छे. तेरमासनी प्रतमां पण क्यांक मुलीबाई तरीके उल्लेख छे. वळी, 'आदि'मांनी ४थी पंक्ति ‘वदवा न जाणुं' अने प्रस्तुत कृतिमां 'वढवाण जाणुं रे'नो तफावत ध्यान खेंचे छे. बीजी गाथामां 'तिहां क्रीडा करे नरनार' वांचतां अहीं 'वढवांण' शहेरनो उल्लेख साचो जणाय छे. अंते कवि पोतानो 'सवराज' तरीके उल्लेख को छे ज्यारे प्रस्तुत 'तेरमासा'मां

Loading...

Page Navigation
1 ... 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35