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* त्रिकाल पूजा *
श्राद्ध विधि में कहा है - सुबह में शुद्ध सामायिक के कपड़े में वासक्षेप पूजा करने से १ रात्रि का पाप का नाश होता है। दोपहर में नये या रोज धुले हुए शुद्ध पूजा के वस्त्रों से अष्टप्रकारी पूजा करने से १ भवों का पाप नाश होता है और सायम् सूर्यास्त से पहिले आरती मंगलदीप पूजा करने से ७ भव का पाप नाश होता है।
तीन प्रकार की पूजा - अंगपूजा अभ्युदय करती हैं । अग्रपूजा विघ्न हरती है और भावपूजा से मोक्ष मिलता है।
प्रश्न- पूजा के लिये स्नान करते हैं। हिंसा होती या नहीं?
उत्तर - शास्त्रों में हिंसा तीन प्रकार की बताई गई । (१) अनुबंध हिंसा - जिसके बिना मजे से जी सकते हैं, उदाहरण के रूप में टी.वी, फ्रीज, कलर, बाथ, वॉटर पार्क बिना चल सकता है । किक्रेट मैच के बिना रावण वध, होली की ज्वाला देखे बिना चल सकता है, नाटक सर्कस देखे बिना चल सकता है। ऐसे अनर्थ दंड जैसे पाप और गुड नाईट - 38
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