Book Title: Good Night
Author(s): Rashmiratnasuri
Publisher: Jingun Aradhak Trust

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Page 69
________________ तो अच्छा हैं। • चने के आटे का डब्बा, गेहूँ का आटे का डब्बा अलग ही रखना चाहिये, वर्ना उसमें भी द्विदल की संभावना हैं। * प्रासंगिक* भोजन जिसका नीरस, भजन उसका सरस... । संज्ञा प्रधान एवं प्रज्ञा प्रधान जीवन बहुत बार मिला, अब आज्ञा प्रधान जीवन जीने का शुभ संकल्प करें। आहार, निद्रा, भय और मैथन ये चार काम तो पशुओं में भी होते हैं लेकिन मनुष्य में विवेक ज्यादा हैं। इंसान खाने पीने एवं संसार के हरेक कार्य में इतना मग्न हो जाता है कि अपने विवेक को खो बैठता है जिससे पशु समान कहलाता है। हर चीज खानी नहीं, हर जगह खाना नहीं, बार-बार खाना नहीं। सौराष्ट्र में एक पटेल भाई ने उपरोक्त तीन नियमों का पालन कर एक सच्चे जैन श्रावक बनने का सौभाग्य प्राप्त गुड नाईट -67. Jain Education Privateuserviwwrainelloraryora

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