Book Title: Dhanna Shalibhadrano Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek, 
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

View full book text
Previous | Next

Page 13
________________ SCARSANSAR ___ व्यवहारी धनसारने रे लो, विलसते सुख नोगरे ॥ सोनागी लाल ॥ पुत्र थया अति रूयमा रे लो, पूरव पुण्य संयोगे रे ॥ सोनागी लाल ॥ व्यवहारी धनसारने रे लो। १॥ए आंकणी॥धनदत्त ने धनदेवजीरे लो, धनचंशनिध बाल रे ॥ सो ॥ अध्यापक & पासे नण्या रे लो, शास्त्रादिक सुविशाल रे ॥सो ॥ व्य०॥२॥ विनयादिक गुण अन्यमे रेखो, सकल कला ग्रहे तेह से। सो० ॥ अति सुंदर सोहामणा रे लो, देवकुमर सम देह है रे॥ सो० ॥ व्य० ॥३॥ योवन वय आव्या यदा रे लो, ताते तव ततकाल रे ॥ सो०॥ प्रित थकी परणाविया रे लो, कन्या अति सुकुमाल रे ॥ सो०॥ व्य०॥४॥धनश्री धन* देवी नली रे लो, धनचंज्ञ सुखकार रे ।। सो०॥ अति रूयमीरलीयामणी रेलो, गुणमणि स्यण नंमार रे ॥ सो०॥ व्य० ॥५॥प्रमदाथी प्रेमे रमे रे लो, धनदत्तादिक पूत्र रे॥ सो०॥धरम करम विधि साचवे रे लो, राखे घरनो सूत्र रे ॥ सो०॥ व्य०॥६॥ निर्वामहक गृह नारना रे लो, जाणी पूत्र सुजात रे ॥ सो०॥ धनसारेच्य करे तदा रे लो, स्त्री-20 हायुत धर्म विख्यात रे । सो० ॥ व्य० ॥७॥ नवपद ध्यान धरे नलो रे लो, पश्चिम रात्रि 8 विनागरे । सो ॥ आवश्यक बे टंकनां रे लो, साचवे मन धरी राग रे ॥ सो०॥ व्य०॥ ॥चैत्यवंदन साते सदा रे लो, देवार्चन त्रिण्य टंक रे ॥सो॥ तिर्थार्चन युगते करे रे RES Jain Education national For Personal and Private Use Only jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 ... 276