Book Title: Devdravya
Author(s): Mohanlal Sakarchandji
Publisher: Mohanlal Sakarchandji

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Page 2
________________ देवद्रव्य. देवद्रव्यना मुख्य वे प्रकार छे. 1 साधारण चैत्योर्नु द्रव्य, 2 तीर्थ- द्रव्य. आ बंने द्रव्यमा तीर्थ द्रव्य विशेषाधिक छे, कारण के साधारण चैत्योनुं द्रव्य जरुर पडे तो तीर्थना कार्यमा वापरी शकाय छे, परंतु तीर्थ द्रव्य अन्य चैत्योमां वापरी शकातुं नथी, कारण के ते द्रव्य तीर्थ रक्षणने माटे एकहुं करवामां आवे छे. आवी रीते तीर्थ द्रव्य सर्वोत्कृष्ट छे. शास्त्रकारे देवद्रव्यना रक्षणनी अत्यंत आवश्यकता बतावी छे अने तेना विनाशथी अथवा उपेक्षा करवाथी बहु भय बताव्यो छे, आ भय नथी पण यथार्थ परिणाम छे. कारणके प्राणीनुं भवोभवमां हित करनार तरीके देव परम उपकारी छे. तेमनी भक्तिमां वापरवानुं द्रव्य ते देवद्रव्य कहेवाय छे. तेनुं रक्षण करवू ते देवनी ज भक्ति छे. . मुख्यत्वे करीने देवद्रव्यनो बीगाड थवाना नीचे जणाव्यां छे तेज कारणो होय छे.

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