Book Title: Descriptive Catalogue Of Manuscripts Vol 16
Author(s): Parshuram Krishna Gode
Publisher: Bhandarkar Oriental Research Institute

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Page 485
________________ 466 Tantra [4420 भवानी समाराधनमस्तु ॥ इति श्रीमत्पपरमहंसपरिव्राजकाचार्यश्रीश्री. रामभारतीश्रीचरणपूज्यपादशिष्यस्य भगवतस्त्रिविक्रमज्ञभट्टारककृते । श्रीसारदातिलकटीकायां गूढार्थदीपिकायां पंचविंशतितमः पटलः ॥२५॥ समातेयं गूढार्थदी(पि)का ॥ संवत् वर्षे प्रमोदनाम संवत्सरे दक्षणायने ग्रीष्मरतो मार्गसिरमासे शुक्लपक्षे सप्तमिवासरे श्रीकासिक्षेत्रे विश्वेश्वरचरण। संनिधो अलखि नाम भीकारी ब्रह्मचारि श्रीशिवार्पणमस्तु ॥५॥ References.- Mitra's Bikaner Cat. p. 608, No. 1324. शिवक्रियाविधि Śivakriyāvidhi 25204). No. 443 A.1883-84. Size.—7} in, by 4} in. Extent.-4(foll. 43-46) leaves%3 Iolines to a page; 30 letters to a line. Description.- Same as No. 252 ( 2 ) of A 1883-84. At the end, the rites and mantras for ten days are enclosed in rectangles bounded by two lines in red ink on each side. An example is given below. Describes the Srāddha ceremonies, to be performed till the tenth day after death, according to Saiva Tantra. Age.- Appears to be old. Author.-Anonymous Begins.- fol. 43" अथ शिवक्रियाविधिः॥ आदौ कलशत्रयं संस्थाप्य ॥ अनकलशं मुदक्षे मध्ये अष्टाकलशं आदावनकलशं संपूज्य ॥ यथा । गः अत्राय फट् येः अत्राय फदस अबाय फट् तेन सर्बद्रध्यप्रोक्षणम् ॥ आप २जीव २.२ सर्वासां पुष्पजातीनां जीवा आगन्त स्वाहा पुछपे कालाग्निरुद्राय जगदप सुगन्धिने सर्वगम्यवहाय नमः etc. Ends.- fol. 46. रौद्रीकलायै रोद्रीकल- संहारिणीकलाय संहा- एवं क्रमेन दशाह्निक स्वरूपाय. स्वतन्त्रकवचाय | रिणीकलस्वरूपाय अलुप्तश- | तावत दशमेहनि सर्वा कलाग स्वतन्त्रकवचस्वरूपाय प्राक- क्तिनेत्राय अलुप्तशक्तिनेत्रम्व- पूज्याः सर्वे तत्त्वाः पूज्याः तस्तत्वाय प्राकृतस्तस्वस्वरू. | रूपाय पौरुषस्तत्त्वाय पोरुष-पंचवक्त्रः पूज्या: । इति पाय पितः नवमीहनि प्राकृ. स्तत्त्वस्वरूपाय' दशमेहनि | शिबक्रियाविधिः। तपिण्डः स्वधा नमः॥ ९॥ पौरुषार्पण्ड ॥१०॥

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