Book Title: Descriptive Catalogue Of Manuscripts Vol 16
Author(s): Parshuram Krishna Gode
Publisher: Bhandarkar Oriental Research Institute

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Page 520
________________ 480.] Tantra sor पूर्वान्नायादि आम्नायाः देवता याः प्रकीर्तिताः पृथक पृथक उच्यते नाथ पुनहि महेश्वरः॥४॥ आम्नायाद्वांछितानां च देवतानां पृथक् पृथक् ।। जपमालासनानां च तेषां बद दयानिधे ॥ ५॥ etc. Ends. - fol. 100 अतो ज्ञात्वा मया देवी यत्किचिदर्जितं शुभं। एतत्सर्व नियतं सर्वस्व इदमेष ते ॥ ६९॥ राज्यं देयं शिरो देयं न देयं तंत्रमद्धतं ।। पडाम्नायेषु कथितं तत्र सर्वत्र दुर्लभं ।। ७०॥ तथा गोप्यं च सुभगे मातृजारपदं यथा ॥ यदि चेद्वेवरारोहे मया तुभ्यं प्रकाशितं ॥ ७१।। अतस्तद्गोपपेनित्यं यतस्त्वं मम वल्लभा । श्री॥ इति उमामहेश्वरसंवादे समयाचारतंत्र समाप्तम् ॥ श्रीशुभं भवतु ॥श्रीलेखकपाठकयोःशुभ अस्तु ।। श्रीविदेहजेशार्पणमस्तु । श्रीसंवत् १७४२ क्रोधनसंवत्सरे आषाढकृष्ण ४ शनो लिखितं श्री ॥ मयूराद्रिस्थे लिखितं म. केशवेन ॥ References.-(1)Mss.-A-Aufrecht's Catalogus Catalogorum :___i,697%; ii, 166°, 23203; iii, 144'. B-Descriptive Catalogues :Mitra's Notices of Sanskrit Mss. No. 755. Peterson's Catalogue of Ulwar Mss. No. 2417. समयाचारतन्त्र Samayācāratantra 996. No. 480 -1884-87. Size.— 8 10 in. by 4io in. Extent.- 12 leaves; 14 lines to a page; 32 letters to a line. Description.- Country paper; Devanagari characters ; hand-writ. ing legible; single line in black ink on each border; corrections on the margins. Paper very old, musty, brittle and worn out. Another copy of No. 479.

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