Book Title: Descriptive Catalogue Of Manuscripts Vol 16
Author(s): Parshuram Krishna Gode
Publisher: Bhandarkar Oriental Research Institute

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Page 536
________________ 495.] Tantra ___ 517 कथं ब्रह्मांडमुत्पर्य कथं वा परिकिर्तिते ।। ... ... गीयते देख बद ब्रह्मांडनिर्णयं ॥२॥ देव्युवाच॥ तस्वदेव परं पलं निश्रितं तत्ववादिभि । तरस्वरूप कि देव तत्वमेव प्रकाशकं ॥३॥ निरंजनो निराकारो को देवो महेश्वरः॥ तस्मादाकाशमुत्पनामाकाशात बायुमंभव ॥४॥ बायोस्तेजस्ततश्वापस्ततः प्रश्वी समुद्भवा ।। पतानि पंच तत्वानि विस्तीर्णानि च पंचचा ॥ ५॥ etc. Ends.- fol. 850 एका (fol. 86. ) क्षरप्रदातारं नाडीभेदनिवेदकं । पृथिव्यां नास्ति तद्रव्यं पदत्वा चादृणी भवेत् ॥ ९६।। स्वरतत्वं तथा गुददेषि पश्य नियं तथा । - ममाष्ट्रिरोगकलाक्षं नवप्रकरणान्वित ।। ९७ ॥ एवं प्रवर्तितं लोके प्रसिहयोगीमी सर्वदा ।। (fol.860) आचंद्र प्रत्यठतां सिविनायकं ॥ ९॥ अयं यमस्कारबरो यथोक्त श्रीजीवनाथेन परर्थकेन । चमलियन भसशरणं ॥ मात्मप्रकाशस्तु तथा हि ज्ञानात् ॥३९९॥ इति श्रीरुद्रयामले उमामहेश्वरसंवादे (fol. 87.) स्वारोदरशा संपूर्ण भीरस्तु । संवत १९८३ (१८८३१) ना बरखे चैत्र शुदी १ बार गरेउ लखुछे. In red ink - अय स्वरोदयादिज्ञानं ॥ References.- () MSS.-A-Aufrecht's Catalogus Catalogorum: i,751% ii,180°. स्वरोदय Svarodaya 529. No.495 1892-95. Size - 8in. by 61 in. Extent.- 12 leaves ; 18 lines to a page ; 26 letters to a line. Description. - Country paper; Devanāgari characters ; hand-writing bad; paper is not old. ____ The work is assigned to रुद्रयामल; it differs from Nos..494 and 496of स्वरोएप. It has got only the following

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