Book Title: Descriptive Catalogue Of Manuscripts Vol 16
Author(s): Parshuram Krishna Gode
Publisher: Bhandarkar Oriental Research Institute
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488
Tantra
[467.
(1) इति श्रीवोपदेवाचार्यकृतायां षडाक्षरपटलपद्धती संग्रह विष्णुयामलप्रोक्तं ब्रह्माजगन्नाथसंवादसूतं मंत्रयंत्रोद्धारः प्रथमोऽ.
ध्यायः॥ fol. so
(2) The second chapter has got बलदेवकृता भूतभविष्यत वर्तमानव्याख्या also. The colophon is-इति श्रीयोपदेवाचार्यकृतसंग्रहषडाक्षरविष्णुयामलपोक्तं श्रीजगनाथकृतश्रीब्रह्माजगन्नाथसंवादभूतं चतुष्पदी तथा बलदेवकृतभूतभविष्यतवर्तमानव्याख्या.
हितीयोध्यायः॥ fol. 23.
(3) इति श्रीजगन्नाथकृतब्रह्मनारदसंवादभूतं विष्णुयामलपोक्तं
श्रीषडाक्षरवरदाचार्यस्तोत्रं तृतीयोऽध्यायः ॥ fol. 250
(4) इति श्रीवीष्णुयामलभोक्तं ब्रह्मानारदसंबादे भूत भीषडाक्षरश्रीवरवाचार्यकवचचर्चाध्यायः ॥ । fol. 28.
(5) इति श्रीमहोपदेवाचार्यकृतसंग्रहषडाक्षरविष्णुयामलप्रोक्तं मार्कंडेयजगनाथसंवादभूतं जगन्नाथप्रोक्तं सहस्रनामपंचांगपंचमोऽध्यायः समाप्तः।
____The work is a part of विष्णुयामल. Age.- Appears to be old. Author.- Vopadeva? Begins.- fol. 4.
पार्षदानाणिमादिश्च देवान् सर्वान् प्रपूजयेत् । नीराजनं ततः कुर्याच्चतुपया विधानतः ॥ नीराजनं पुरा प्रोक्तं जगन्नाथेन स्वामिना। दत्वा श्रीवलरामाय स चक्रे भाषया विधि। भाषामूलं जगन्नाथदेवेनेदं प्रकाशितं ।
आज्ञानरूपमनेनैव कुर्यानीराजनं हरेः ॥ etc. Ends.- fol. 28.
बैष्णवाय न दुर्घतशीलाय तत्कदाचन । कलौ घोरतमे प्राप्त नष्टप्रज्ञा जंतुए॥ ५३॥ एतदनंतफलदं पंचांगं वर्णितं मुने । एतत्पंचांगमज्ञात्वा यो मजेदरदं हरिं ॥ ५४॥
नातिप्रीतो भवेयं भो केनापि मुफोन च ॥ References.-Aufrect mentions only our Ms. under सहस्रनामपंचांग.
Catalogus Catalogorum, iii, 146".
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