Book Title: Dashvaikalaik Nandi Uvavai
Author(s): Hiralal Hansraj
Publisher: Hiralal Hansraj

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Page 17
________________ AwaromNAMAnnonwani सिणाणं - अदुवा कक, लुई उममाणि । मावस्सुवाए, नायरंति कयाइ वि ॥ ६४ ॥ नर्गिणस्स वावि मुंडस्स, दीहरोमनहसिगो। मेहुणाओ उपसंतस्स, किं विभूसाय कारिजं ॥६५॥ विभूसावत्ति भिक्खू , कम्मं बंथइ चिक्कणं । संसारसायरे घोरे, जेणं पडइ दुरुत्तरे ॥ ६६ ॥ विभूसावति चेअं, बुद्धा मन्नति तारिसं । साचलं बहुले चेअं, नेयं ताईहि सेविअं ॥ ६७ ॥ खर्वति अपाणममोहदसिमो, तवे रया संजम अजवे गुणे । धुर्णति पावाइं, पुरेकडाई नवाई पावाई न ते करंति ॥ ॥ ६८॥ सओवसंता अममा अकिंचणा, सविन विजाणुगया जसंसिणो। उउप्पसन्ने विमले व चंदिमा । सिद्धिं विमाणाइ उति (वयंति) ताइणो ॥ ६९ ॥ त्ति बेमि ॥ इअ छटुं धम्मत्थकामज्झयणं समत्तं ॥ ६॥ ॥ अह सुबकसुद्धी णाम सत्तमं अज्झयणं ॥ चउण्हं खलु भासाणं, परिसंखाय पन्नवं । दुहं तु विणयं सिक्खे, दा न भासिज्ज सवसो । १ ॥ जा अ सच्चा अवत्तवा, सच्चामोसा अजा मुसा। जा अ बुद्धहि नाइन्ना, न तं भासिज्ज पन्नवं ॥ २॥ असञ्चमोसं सच्चं च, अणवज्जमककसं । समुप्पेहमसंदिद्धं गिरं भासिज्ज पनवं ॥३॥ एयं च अट्ठमन्नं वा, जंतु नामेइ सासयं । स भासं सच्चमोसं च पि तं (पि) धीरो विवज्जए ॥ ४ ॥ वितहं पि तहामुत्ति, जं गिरं भासओ नरो । वम्हा सो पुट्ठो पावेणं, किं पुण जो मुसं वए ॥५॥ तम्हा गच्छामो वक्खामो, अमुगं वा णे भविस्सइ । अहं वा णं करिस्सामि, एसो वा णं करिस्सइ ॥ ॥६॥ एवमाइ उ जा भासा, एसकालम्मि संकिआ । संपयाइअमढे वा, तं पि धीरो विवज्जए ॥ ७॥ अईअम्मि अ कालम्मि, पच्चुप्पण्णमणागए । जमर्दु तु न जाणिज्जा, एवमेअंति नो वए ॥ ८ ॥ अईअम्मि अ कालम्मि, पच्चुप्पण्णमणागए। जत्थ संका भवे तं तु, एवमेअं तु नो वए ।। ९ ॥ अईअम्मि य कालम्मि, पच्चुप्पणमणागए । निस्संकिअं भवे जं तु, एवमेअं तु निदिसे ॥ १० ॥ तहेव फरुसा भासा, गुरुभूओक्काइणी । सच्चा वि सा न वत्तवा, जओ पाक्स्स आगमो ॥११॥ तहेव काणं काण त्ति, पंडगं फंडगति वा । काहि वा वि रोगि ति, तेणं चोरे त्ति नो वए ॥ १२ ॥ एएणन्नेण अटेणं, परो जेणुवहम्मइ । आयारभावदोसन्नू, न तं भासिज्ज पण्णवं ॥ १३ ॥ तहेव होले गोलि त्ति, साणे वा वसुलि त्ति अ। दमए दुहए वा वि, नेवं भासिज्ज पण्णवं ।। १४ ।। अजिजए पज्जिए वा वि, अम्मो माउस्सिअ त्ति अ। पिउस्सिए भायणिज्ज त्ति, ध्रए णत्तुणिअति अ॥ हले हलित्ति अनि ति, भट्टे सामिणि गोमिणि । होले गोले वसुलि ति, इस्थिअं नेवमालवे ॥ ॥१६॥ णामधिज्जेण ण बूआ, इत्थीगुत्तेण वा पुणो। जहारिहमभिगिज्झ, आलविज्ज लविज्ज वा ॥ १७ ॥

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