Book Title: Dashvaikalaik Nandi Uvavai
Author(s): Hiralal Hansraj
Publisher: Hiralal Hansraj
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(२६)
श्रीजैनसिद्धान्त - स्वाध्यायमाला.
वायसंजर
हत्थ संज पायसंजए, संजइंदिए । अझप्परए सुसमाहिअप्पा, सुत्तत्थं च विआणइ जे स भिक्खू ॥ १५ ॥ उहिम्मि अमुच्छिए अगिद्धे, अन्नायउंछं पुलनिप्पुलाए । कयविक्कयसन्निहिओ विरए, सङ्घसंगावमए अ जे स भिक्खू ॥ १६ ॥ अलोल(लु)भिक्खू न रसेसु गिज्झे, उंछं चरे जीविअनाभिकखी । इडिच सकारण पूअणंच, चए ठिअप्पा अणिहे जे स भिक्खू ॥ १७ ॥ न परं वज्जासि अयं कुसीले, जेणं च कुप्पिज न तं वइजा । जाणिअ पत्तेअं पुन्नपावं' अत्ताणं न समुक्कसे जे स भिक्खू ॥ १८ ॥ न जाइमत्ते न य रूवमत्ते, न लाभमत्ते न सुएण मत्ते । मयाणि सव्वाणि विवज्जइत्ता, धम्मज्झाणरए जे स भिक्खू ॥ १९ ॥ are अजपयं महामुणी, धम्मे ठिओ ठावयइ परं पि । निक्खम्म जिज्ज कुसीललिंगं, न आवि हासं कुहए जे स भिक्खू ॥ २० ॥ तं देहवासं असुई असासयं, सया चए निच्चहिअट्ठिअप्पा | छिंदि जाइमरणस्स बंधणं, उवेइ भिक्खू अपुणागमं गई ॥ २१ ॥ त्ति बेमि ॥ इअ भिक्खु नामं दसमज्झयणं समत्तं ॥
॥ अह रइवक्का पढमा चूलिआ ||
इह खलु भो पचइएण उप्पण्णदुक्खेणं संजमे अरइसमावन्नचित्तेणं ओहाणुप्पेहिणा अणोहाइएणं चैव हयरस्सिगयंकुस पोयपडागाभूआई इमाई अट्ठारस ठाणाई सम्मं संपडिलेहिअब्बाई भवंति । तंजहा हं भो ! दुस्समाइ दुप्पजीवी ॥ १ ॥ लहुसगा इत्तरिआ गिहीणं कामभोगा || २ || भुज्जो अ सायबहुला मणुस्सा || ३ || इमे अ मे दुक्खे न चिरकालोवट्ठाइ भविस्सइ ॥ ४ ॥ ओमजणपुरकारे ||५|| तस्स य पडिआयणं || ६ || अहरगइवासोवसंपया || ७ | दुल्लहे खलु भो ! गिहीणं धम्मे गिहिवासमज्झे वसंताणं ||८|| आयंके से वहाय होइ || ९ || संकप्पे से वहाय होइ ॥ १० ॥ सोवकेसे गिहवासे, निरुवकेसे परिआए । ११ ।। बंधे गिडवासे, मुक्खे परिआए || १२|| सावज्जे गिहवासे, अणवज्जे परिआए || १३ || बहुसाहारणा गिहोणं कामभोगा || १४ || पत्ते पुन्नभावं ।। १५ ।। अणिच्चे खलु भो! मणुआण जीविए कुसग्गजलबिंदुचंचले || १६ || बहुं च खलु भो! पावं कम्मं पगडं ॥ १७ ॥ पावाणं च खलु भो ! कडाणं क्रम्माणं पुष्विं दुच्चिन्नाणं दुष्पडिकंताणं वेत्ता मुक्खो नत्थि अवेत्ता तवसा वा झोसइत्ता || १८ || अट्ठारसमं पर्यं भवइ, भवइ अ इत्थ सिलोगोजयाय चयई धम्मं, अणजो भोगकारणा । से तत्थ मुच्छिए बाले, आयई नावबुज्झई ॥ १ ॥ जया ओहाविओ होइ, इंदो वा पडिओ छमं । सवधम्म परिब्भट्ठो, स पच्छा परितप्पइ || २ || जया अ वंदिमो होइ, पच्छा होइ अदिमो । देवया व चुआ ठाणा, स पच्छा परितप्पड़ || ३ || जया अ पूइमो होइ, पच्छा होड़ अपूइमो, राया व रज्जप-भट्ठो, स पच्छा परितप्पड़ || ४ ||

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