Book Title: Dash Lakshan Dharm athwa Dash Dharm Dipak
Author(s): Deepchand Varni
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia

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Page 47
________________ mom Madan · उत्तम शौच । [४३ awanwwewan on twima..marvam " लोभ पापका बाप बखाना" अर्थात् लोभी पुरुष न करने योग्य भी सब कार्य करता है । वह हिंसा, झूठ, चोरी, कुशील आदि किसी पापसे भी नहीं डरता है तथा निरन्तर जिस तिस प्रकार तीन लोककी संपत्तिको अपनाना चाहता है, परन्तु विना पुण्यके क्या कुछ भी. कभी पा सकता है ? कभी नहीं । इसके सिवाय सोचो तो सही कि लोकमें तो संपत्ति जितनी है, उतनी ही है। और उतनी ही रहती रहेगी और प्रत्येक जीवको तृष्णा इतनी है कि कदाचित् उसे यह सब संपत्ति मिल जाय जैसा कि होना असंभव है तो भी उसकी. तृष्णाके असंख्यातवें अंशकी पूर्ति न हो, और जीव संसारमें अनंतानंत हैं, तब कैसे कहा जाय कि वह कभी भी उसका स्वामी होकर तृप्त हो सकेगा अर्थात् उसकी इच्छाकी पूर्ति होकर वह सुखी हो. सकेगा ? कभी नहीं, कभी नहीं। ___ इसलिये ऐसी लोभ तृप्णाको छोड़नेवाले परम वीतरागी पुरुष ही सुखी हुए वा हो सकते हैं और शेष संसारी जीव तो निरन्तर तृष्णाग्निमें जला ही करते हैं । इससे निश्चित है कि जहांतक आशा तृष्णा वा चाह लगी रहती है, वहांतक जीव कभी सुखी नहीं हो सकता । एक संतोषी पुरुष ही सदा सुखी रहता है। संतोषी ही उच्च और लोभी पुरुष संसारमें नीच समझा जाता है। जैसा कि कहा है "देव कहे सो नीच है, नहीं कहे महा नीच । .. लेव कहे ऊँचा पुरुष, नहीं लेय महा ऊँ ॥" . संसारमें मनुष्योंका तभीतक आदर रहता है, जबतक वे कुछ

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