Book Title: Contribution of Jainas to Sanskrit and Prakrit Literature
Author(s): Vasantkumar Bhatt, Jitendra B Shah, Dinanath Sharma
Publisher: Kasturbhai Lalbhai Smarak Nidhi Ahmedabad

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Page 12
________________ श्रद्धाञ्जलि डॉ० के० आर० चन्द्रा के परिचय में जब हम आये हमें जैन धर्म की बहुत सी बातें जानने को मिलीं । उनसे यह पता चला कि प्राकृत भाषा का भारतीय भाषाओं में क्या महत्त्व है। उनकी प्रेरणा से प्राकृत जैन विद्या विकास फउन्ड की रचना की गयी ताकि प्राकृत भाषा की अधिक से अधिक सेवा की जा सके । मीटिंग के दौरान आप से प्राकृत भाषा और जैन धर्म और दर्शन की अनेक बातें जानने मिली इसके लिए हम उनके हृदय से आभारी हैं । वे हमारे बीच नहीं हैं, उनकी कमी हमको हमेशा महसूस होती रहेगी। उन्होंने जिस ज्ञान का बीज बोया है और वह वृक्ष के रूप में आज जो दिखायी पड़ रहा है, ऐसे ही सुरक्षित बना रहे और अधिक से अधिक फलताफूलता रहे इसी शुभकामना के साथ हम यह कामना करते हैं कि डॉ० चन्द्रा की आत्मा को चिरशान्ति मिले, हम पुनः उन्हें श्रद्धाञ्जलि अर्पित करते हैं । बख्तावरमल बालर नेमिचन्द बागरेचा नारायण चंद महेता वंशराज भंसाली सुरेन्द्र मोदी ट्रस्टीगण प्राकृत जैनविद्याविकासफंड Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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