Book Title: Choubis Tirthankar Part 01
Author(s): 
Publisher: Acharya Dharmshrut Granthmala

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Page 19
________________ प्रजा के ऐसे दीनता भरे वचन सुनकर/भाईयों ! कल्पवृक्ष के नष्ट हो जाने पर ये साधारण वृक्ष तुम्हारा वैसा ही उपकार करेंगे जैसा नाभिराज ने मधुर वचनो से सबको कि पहले कल्पवृक्ष किया करते थे। देखो ये खेतों में अनेक तरह के अनाज पैदा हुए हैं। संतोष दिलाया एवं युग के परिवर्तन इनके खाने से तुम लोगों की भूख शान्त हो जावेगी एवं इन सुन्दर कुए, बावड़ी, निर्झर आदि का हाल बताते हुए कहा। का पानी पीने से तुम्हारी प्यास मिट जावेगी। OIN ये लम्बे गन्ने के पेड़, जो बहुत अधिक मीठे हैं। इन्हे दान्तों से या यन्त्र से पेलकर इनका रस पीना चाहिए। इन गायों, भैसों के थनों से स्वेत मिष्ट दुग्ध झर रहा है, इसे पीने से शरीर पुष्ट होता है एवं भूख मिट जाती है। C COपान इस तरह दयालु महाराज नाभिराज ने उस दिन प्रजा को जीवित रहने के सब उपाय बताये एवं थाली आदि कई तरह के मिट्टी के बर्तन बनाना सिखाये। उनके मुख से यह सब सुन कर प्रजाजन बहुत अधिक प्रसन्न हुए एवं उनके बताये उपायों को काम में लाकर सुख से रहने लगे। जैन चित्रकथा - 17

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