Book Title: Choubis Tirthankar Part 01
Author(s): 
Publisher: Acharya Dharmshrut Granthmala

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Page 22
________________ रात्रि पूर्ण हो गयी, पूर्व दिशा में लाली छा गई, राज मंदिर में मंगल ध्वनि होना लगी। बंदी जन-स्तुति गान करने लगे। महारानी मरुदेवी की नींद खुल गई। पंच परमेष्ठी का स्मरण करती हुई। शैया से उठी अभूतपूर्व स्वप्नों का स्मरण कर आश्चर्य सागर में निमग्न हो गई। Vioe जब उसे बहुत सोच विचार करने पर भी स्वप्नों के फल का पता न चला तब वह शीघ्र ही तैयार हो कर सभा मण्डल की ओर गई। | महराज नाभिराज ने यथोचित सत्कार कर उसे राज्यसभा में आने का कारण पूछा। मरूदेवी ने विनय पूर्वक रात में देखे स्वप्न राजा नाभिराज से कहे एवं उनके फळ जानने की इच्छा प्रकट की तब महाराज नाभिराज ने अवधिज्ञान से जानकर कहा। 20 देवी! तुम्हारे एक महान पुत्र होगा। वह पूरे संसार का अधिपति होगा। प्रचण्ड पराक्रमी व अतुलित वैभवशाली होगा तीर्थ का कर्त्ता एवं सबको आनन्द देने वाला होगा। तेजस्वी व निधियों का स्वामी होगा तथा अनन्त सुखी होगा। उत्तम लक्षणों से भूषित होगा। सर्वदर्शी व स्थिर साम्राज्यशाली होगा। स्वर्ग से आयेगा। अवधिज्ञान, गुणों की खान व कर्मरूपी ईधन को जलाने वाला होगा। ऐसा लगता है कि तुम्हारे गर्भ में किसी देव ने अवतार लिया है। चौबीस तीर्थकर भाग- 1

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