Book Title: Chitta Samadhi Jain Yog Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya Publisher: Jain Vishva BharatiPage 10
________________ २३२ (६) समता, अहिंसा २३०, ० आत्मानुशासन, वीर्य २३१, • शरीर, निद्रा २३२ 0 टिप्पण (१ से २८ तक) ६. समवाओ: २४४-२४६ ० बत्तीस योग-संग्रह २४४ ७. भगवई: २४७-२६३ ० आठ आत्मा, जीव के मध्य प्रदेश और बन्ध, आत्मा और शरीर २४७, ० आत्मा और भाषा, आत्मा और मन २४८, ० संज्ञा, कामभोग २४६, ० जरा और शोक, वेदना और निर्जरा २५०, ० सुप्त और जागृत, बुद्धि अपौद्गलिक है २५१, ० आत्मशक्ति अपोद्गलिक है, चंचलता, क्रिया और अक्रिया २५२, शैलेशी, सूर्यरश्मि २५३, ० साधना और तेजोलेश्या, चतुर्दशपूर्वी २५४, ० लब्धि और भावितात्मा २५५, ० केवली २६१, ० तेजोलेश्या २६२ ८. प्रश्नध्याकरण : २६४-२७२ ० अहिंसा २६५, ० सत्य २६६, ० अस्तेय २६७, ० ब्रह्मचर्य २६८, ० अपरिग्रह २७० ६. दशाश्रुतस्कन्ध : २७३-२७६ ० चित्तसमाधि २७३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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