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१. आयारो :
अप्रमाद, सुप्त
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• प्रेक्षा ध्यान १, ० समत्वदर्शन, प्रमाद और जागृत २० काम और अर्थ, ब्रह्मचर्य ३, अपरिग्रह ४, • सत्य, सुख-दुख, अहिंसा ५, ० आस्रव, संवर, कर्मवाद ६, शरीर, जिजीविषा, मुनि, आहार ७, ० अस्वाद, आज्ञा, आचार्य, अनुप्रेक्षा, धुतवाद, ध्यानासन ८, ० एकाकी साधना, समाधिमरण &
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सामूहिक साधना,
0 टिप्पण (१ से ६३ तक )
२. ठाणं :
● चित्त-असमाधि का वलय
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संसार चक्र, कषाय, क्रोध - उत्पत्ति २७, ०
संज्ञा, आयुष्य-बंध के कारण, पूर्णजीवन और अकालमृत्यु ३२
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अनुक्रमणिका
● चित्त-समाधि के विघ्न
मूर्च्छा, प्रमाद, भयस्थान, अज्ञान, मोह, रोग, कामगुण, आस्रव ३४
● चित्त-समाधि का मार्ग
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कर्म ३०,
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२६ – १११
२६
पर्युपासना, अभ्युत्थान, अनुशासन ३६, ० दर्शन ३७,
दृष्टि, ज्ञान, पांच ज्ञान ३८,
मतिज्ञान, शरीर ३६
वाणी, मन, क्षय-उपशम, सुख, सत्त्व, बल ४०
० इन्द्रियातीत चेतना के सूत्र - १
• आराधना, प्रणिधान, संवर, इन्द्रिय और मन का संवर, संयम ४२, ० निवृत्ति, गुप्ति, धर्म, दश-धर्म, अकिञ्चनता ४३
० इन्द्रियातीत चेतना के सूत्र - २
• आहार, आसन, सुप्त - जागृत ४५, ० प्रतिक्रमण, प्रतिसंलीनता, प्रायश्चित्त, विनय, सेवा ४६, ० स्वाध्याय, ध्यान ४७, ० लेश्या ४५
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