Book Title: Chitta Samadhi Jain Yog
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati
________________
(८)
४६
५८
0 मुनि-धर्म
० स्वाख्यात, प्रियधर्म और दृढ़धर्म, वेष और धर्म, महाव्रत, दुःख-शय्या ५०, ० सुख-शय्या ५१, ० सहिष्णुता का आलम्बन ५२, ० मनोरथ, साधना का तारतम्य ५३, • प्रतिमा, आत्मवान्-अनात्मवान्, शस्त्र, कथा ५४,
• आत्म-रक्षक, समाधिमरण, निर्याणमार्ग ५५, ० अंत- क्रिया, छद्मस्थ और केवली ५६ . ० अतीन्द्रिय-ज्ञान
. . ० अतीन्द्रिय-ज्ञान, कृश और दृढ़ अतीन्द्रिय-ज्ञान, चक्षुमान् ५६, ० अवधिज्ञान रुक जाता है ६०, ० देशतः सर्वतः ६१ 0 लब्धि और ऋद्धि
संभिन्नश्रोतोलब्धि, तेजोलब्धि, विक्रिया ६४ 0 गृहस्थ-धर्म
संकल्प, आश्वास, अणुव्रत ६६, ० साधना का तारतम्य ६७ o आचार्य
० आचार्य की अर्हता, आचार्य, गण की ऋद्धि, पांच
व्यवहार ६६, ० दिशाबोध, दुष्प्रतिकार ७०
० टिप्पण (१ से ७० तक) ३. उत्तरज्झयणाणि:
११३-१८० • चउविसइमं अज्झयणं : पवयण-माया ० एगूणतीसइमं अज्झयणं : सम्मत्त-परक्कमे • तीसइमं अज्झयणं : तवमग्गगई
१२४ ० बत्तीसइमं अज्झयणं : पमायट्ठाणं
१२७ ० टिप्पण (१ से ७० तक)
१३४ ४. परिशिष्ट :
११८१-२२६ ० मोक्खपाहुड ० समयसार (प्रथम अधिकार)
१८६ ० हठयोगप्रदीपिका
१६४ ० मनोनुशासनम्
२२३ ५. सूयगडो:
२३०-२४३ ० संवर, ध्यान और कायोत्सर्ग, भावना, अनित्यानुप्रेक्षा,
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org
Page Navigation
1 ... 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 ... 288