Book Title: Chitt aur Man
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 341
________________ लेश्या और भाव ३२५ लेश्या और ध्यान अप्रमत्त अवस्था में अध्यवसाय शुद्ध बनता है। उससे लेश्या शुद्ध होती है। उसके शुद्ध होने पर ही मनुष्य का स्वभाव बदल सकता है, आदतों में परिवर्तन आ सकता है, रुचि और आकांक्षा को नया मोड़ दिया जा सकता है। लेश्या की शुद्धि हुए बिना जीवन परिवर्तन की दिशा में एक पैर भी आगे नहीं बढ़ाया जा सकता। व्यक्तित्व के परिष्कार का महत्त्वपूर्ण सूत्र है-लेश्या का विशुद्धिकरण । लेश्या के विशुद्धिकरण का सूत्र है---शुद्ध अध्यवसाय और शुद्ध अध्यवसाय का आधार है-धर्म और शुक्ल ध्यान । ध्यान और लेश्या में गहरा सम्बन्ध है । ध्यान अशुद्ध होता है तो लेश्या अशुद्ध हो जाती है, आभामंडल विकृत बन जाता है। ध्यान शुद्ध होता है तो लेश्या शुद्ध हो जाती है, आभामंडल स्वस्थ और निर्मल बन जाता Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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