Book Title: Chitt aur Man
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 369
________________ मस्तिष्क प्रशिक्षण पूर्ण माना गया हैं । जीवन-विज्ञान पद्धति के तीन मुख्य आधार हैं— कायोत्सर्ग, समवृत्तिश्वास और अनुप्रेक्षा । पश्चिमी जगत् में जिसे सजेशन, ऑटो - सजेशन कहा जाता है, वह अनुप्रेक्षा का ही रूप है । चिकित्सा के क्षेत्र में पहले सजेशन का प्रयोग होता था । आजकल सम्मोहन का प्रयोग होने लगा है । आज शल्यचिकित्सक एनेस्थेसिया का प्रयोग करते हैं । कुछेक शल्य चिकित्सक सम्मोहन के द्वारा बड़े-बड़े ऑपरेशन कर देते हैं। इससे न बीमार व्यक्ति को कोई कष्ट होता है और न डॉक्टर को । संदेश देना, सुझाव देना, अनुप्रेक्षा करना, भावना से भावित करना-ये सब भारतीय योगविद्या के अंग हैं। इनसे मस्तिष्क की शक्तियों को जगाया जा सकता है । जीवन विज्ञान : मस्तिष्क प्रशिक्षण मस्तिष्क प्रशिक्षण के संदर्भ में जीवन विज्ञान की परिकल्पना से कुछ तथ्य स्पष्ट होते हैं ३५३ • मस्तिष्क में असीम शक्ति है । • उसको जागृत किया जा सकता है । ० शक्ति की जागृति तनाव और थकान के बिना की जा सकती है । ० जीवन विज्ञान की शिक्षा प्रणाली मस्तिष्क के दाएं और बाएं दोनों के सन्तुलित विकास की पद्धति है । ० अनुकम्पी नाड़ीतन्त्र (पेरासिपेथेटिक नर्वस सिस्टम) की अति सक्रियता से व्यक्ति आक्रामक, उद्दण्ड बनता है, बैचेनी का अनुभव करता है। परानुकम्पी नाड़ीतंत्र (सिपेथेटिक नर्वस सिस्टम) की व्यतिसक्रियता से व्यक्ति डरपोक, दब्बू, हीनभावना से ग्रस्त होता है। यह स्नायविक असन्तुलन है । जीवन-विज्ञान इन दोनों के सन्तुलन की पद्धति है । • विवेक ( रीजनिंग माइण्ड ) और संवेग ( इमोशन) में संघर्ष होता रहता है | विवेक कहता है यह काम गलत है, नहीं करना है । संवेग प्रबल होता है, उसे करा देता है इसलिए ज्ञान और आचरण की दूरी बनी रहती है । जीवन - विज्ञान संवेग नियंत्रण को पद्धति है । • संवेद (सेंस एनर्जी) निरन्तर क्रियाशील रहते हैं, इससे शक्ति का बहुत अपव्यय होता है । अति सक्रियता से मस्तिष्क और मेरुदण्ड प्रणाली पर दबाव पड़ता है। उससे स्वचालित नाड़ीतंत्र की प्रणाली पर दबाव पड़ता है । जीवन-विज्ञान संवेद - नियंत्रण की पद्धति है । ० प्रमस्तिष्क ( सेरेब्रम) में शक्ति संचित है । अनुमस्तिष्क (सेरेबेलम ) उसका नियंत्रण करने वाला है । उसके द्वारा शक्ति प्रवाहित होकर सुषुम्ना Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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