Book Title: Chitt aur Man
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 370
________________ चित्त और मन शीर्ष (मेडुलामाबलांगेटा) में जाती है । वहां से यह मेरुदंड में जाती है । वहां से शरीर की सारी प्रक्रियाएं चालू होती है। जीवन-विज्ञान के द्वारा चेतना-प्रक्रिया (कांसस एक्टिविटी) को कम कर बिंब प्रक्रिया (रिफ्लेक्स एक्टिविटी) को बढ़ाया जा सकता है, जिससे मस्तिष्क पर दबाव न पड़े। पीनियल ग्लेंड की निष्क्रियता से नियन्त्रण की क्षमता कम हो जाती है। थाइमस ग्लेंड की निष्क्रियता से आनद की अनुभूति में कमी बा जाती है, बाहर की ओर झुकाव बढ़ जाता है। ० व्यवहार और आचरण का मुख्य आधार भावधारा है। भाव दो भागों में विभक्त हैं-विधेयात्मक (पोजिटिव) और निषेधात्मक (नेगेटिव)। __ मनोविज्ञान के अनुसार इसका विश्लेषण इस प्रकार है विधेयात्मक (आचार/व्यवहार) भाव व्यक्तित्व परिणाम विश्वास उत्साही सफलता अभय आशावादी समादर प्रसन्न निश्चितता सहिष्णुता तनावमुक्त आंतरिक शांति मृदुता विनयशील मैत्री श्रद्धा सहृदय स्वस्थता सहानुभूतिपूर्ण सामंजस्य वीरतापूर्ण विकास पारस्परिक समझ अनुशासनबद्ध साहस आदि-आदि आदि-आदि प्रेम आदि-आदि निषेधात्मक (आचार/व्यवहार) माव व्यक्तित्व परिणाम घृणा दुर्बल कुण्ठा ईर्ष्या कठोर निराशा संदेह लाचारी लोभ नीरस उद्विग्नता माया चिड़चिड़ा दीनता/हीनता रूखा असफलता प्रय निष्ठा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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