Book Title: Chitt aur Man
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 371
________________ मस्तिष्क प्रशिक्षण ३५५ अहं छिद्रान्वेषण आलसी रुग्णता डांवाडोल दरिद्रता आग्रह धोखेबाज थकावट स्वार्थी ऊब, असंतोष आदि-आदि आदि-आदि आदि-बादि जीवन-विज्ञान के द्वारा विधेयात्मक भाव का विकास कर निषेधात्मक भाव से मुक्ति पाई जा सकती है। मस्तिष्क प्रशिक्षण की पद्धति जीवन-विज्ञान मस्तिष्क प्रशिक्षण की पद्धति है । उसके तीन अंग हैं१. संवेद-नियंत्रण पद्धति २. संवेग-नियंत्रण पद्धति ३. विचार-नियंत्रण पद्धति इसके साध्य तत्त्व सात हैं१. श्वास नियंत्रण २. शरीर नियंत्रण ३. चैतन्य केन्द्र जागरण ४. स्वभाव परिवर्तन ५. आभामंडलीय निर्मलता ६. सामुदायिक चेतना का विकास ७- रचनात्मक शक्ति का विकास इसके साधक तत्त्व पांच हैं१. श्वास-प्रेक्षा २. शरीर-प्रेक्षा ३. चैतन्य-केन्द्र-प्रेक्षा ४. अनुप्रेक्षा (संदेह और अनु-चिन्तन) ५. लेश्या-ध्यान (आभामंडल का ध्यान) अनुप्रेक्षा मस्तिष्क प्रशिक्षण की प्रक्रिया है। उसमें पुनरावृत्ति की जाती है। संस्कार निर्माण के लिए एक मास से तीन मास तक प्रतिदिन ५० से १०० बावत्तियां की जाती है। शिक्षण के लिए ३२ से ५० आवृत्तियां करना आवश्यक है। मस्तिष्क प्रशिक्षण प्रणाली के द्वारा मस्तिष्क और शरीर को प्रतिदिन नियन्त्रित (या सूचना द्वारा सूचित या निर्दिष्ट) कर स्वास्थ्य को नियमित किया जा सकता है। इसके द्वारा व्यवसाय, खेलकूद, अन्तरिक्ष यात्रा, समुद्र याभा, पर्वता Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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