Book Title: Chitt aur Man
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 367
________________ मस्तिष्क प्रशिक्षण ३५१ मस्तिष्क | हमारे स्वभाव, व्यवहार और बुद्धि का नियंत्रण मस्तिष्क से होता है और फिर उसकी कुछ सहयोगी क्रियाएं (रिफ्लेक्स एक्टीविटी) होती हैं तो रीढ़ की हड्डी आदि उसमें सहभागी बनते हैं परन्तु सबका मूल आधार है मस्तिष्क । मस्तिष्क को प्रशिक्षित करना बहुत आवश्यक है । जिस समाज - व्यवस्था के साथ आदमी जीता है, उस समाज व्यवस्था के अनुरूप मस्तिष्क को प्रशिक्षित करना अत्यन्त अनिवार्य हो जाता है, अन्यथा समाज-व्यवस्था और शिक्षा के बीच कोई संवादिता स्थापित नहीं की जा सकती । समाज व्यवस्था और कहीं जा रही है तथा शिक्षा और कहीं जा रही हैं। दोनों के बीच कोई सामंजस्य या सामरस्य नहीं होता उतनी नहीं रहती । समाज व्यवस्था के अनुरूप और शिक्षा के द्वारा समाज व्यवस्था लाभान्वित है तो शिक्षा की सार्थकता भी शिक्षा का तंत्र होना चाहिए होनी चाहिए। यह संबंध बहुत आवश्यक है । मूल्यात्मकता और शिक्षा मूल्यात्मकता और शिक्षा — दोनों को कभी अलग नहीं किया जा सकता । जो सामाजिक, नैतिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक मूल्य हैं, उनको छोड़कर शिक्षा को भिन्न स्वतंत्र रूप में नहीं देखा जा सकता इसलिए मस्तिष्क का वैसा प्रशिक्षण हो जिससे ये सारे मूल्य एक साथ संभाविता के रूप में विकसित हो सकें, इस दृष्टि से मस्तिष्क के सभी केन्द्रों को विकसित करना जरूरी है । मस्तिष्क के दो पटल हैं। बायां पटल भाषा, तर्क गणित आदि के लिए जिम्मेदार है और दायां पटल अन्तःप्रज्ञा आध्यात्मिक चेतना, आन्तरिक प्रेरणा, स्वप्न आदि के लिए जिम्मेदार है । दोनों पटलों का संतुलित विकास न होने पर समस्याएं उत्पन्न होती हैं। वर्तमान परिप्रेक्ष्य में बाएं पटल पर अधिक भार पड़ा हुआ है और दायां पटल सोया पड़ा है, सुप्त है । यह आवश्यक है कि दोनों का संतुलित विकास हो, तभी हम बौद्धिक विकास और चारित्रिक विकास — दोनों की कल्पना कर सकते हैं। यदि एक पटल का ही विकास हुआ, दूसरा सोया रहा तो समस्या कभी सुलझ नहीं पाएगी । समस्या का कारण आज शिक्षाशास्त्री, शिक्षक, शिक्षानीति और शिक्षा प्रणाली के सामने एक प्रश्न है कि बौद्धिक विकास के साथ व्यक्ति के चरित्र का विकास क्यों नहीं हो रहा है । समाज को ऐसा व्यक्तित्व चाहिए जो समाज की समस्या को सुलझा सके। मूलतः मस्तिष्क का असंतुलन बना हुआ है। जीवन-विज्ञान की प्रणाली का आधारभूत तत्त्व यह है कि मस्तिष्क का संतुलन केवल पढ़ने से नहीं हो केवल बुद्धि के द्वारा नहीं हो सकता । बुद्धि का कार्य है विश्लेषण सकता, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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