Book Title: Chitt aur Man
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

View full book text
Previous | Next

Page 365
________________ मस्तिष्क प्रशिक्षण ३४६ होती। अपने भीतर इतना मधुर संगीत प्रारम्भ हो जाता है कि सुनते-सुनते जी नहीं अघाता । अपने भीतर रस का इतना बड़ा झरना बहने लग जाता है कि उसके सामने सब नीरस-सा लगता है । आनन्द की उपलब्धि किए बिना, सरसता की प्राप्ति के बिना कथनी और करनी की दूरी मिट नहीं सकती। ध्यान का नशा चढ़े विना आनन्द उपलब्ध नहीं होता। मदिरापान करने वाला भी आनन्द पाने के लिए मदिरा पीता है किन्तु वह मदिरा कथनी और करनी की दूरी को बनाए रखती है। यदि इससे छुटकारा पाना है तो ध्यान की मदिरा पीनी होगी। आर० एन० ए० रसायन प्रश्न होता है कि हम आनन्द को उपलब्ध कैसे करें। अल्फा तरंगो का उत्पादन कैसे हो सकता है ? अध्यात्म की भाषा में मानन्द की उपलब्धि का मार्ग यह है कि पहले उपाधियां मिटे। इसका तात्पर्य है कि कषाय के सारे आवेग समाप्त हों। उपाधियों के मिटने पर आधियां-मानसिक बीमारियां विनष्ट हो जाती हैं। आधियां न होने पर व्याधियां-शारीरिक रोग नहीं रह सकते । व्याधि के मिटने पर जीवन आनन्द से भर जाता है। ध्यान रूपान्तरण की प्रक्रिया है। उससे आदतें बदलती हैं, स्वभाव बदलता है और पूरा व्यक्तित्व बदल जाता है। इस रूपान्तरण की वैज्ञानिक व्याख्या की जा सकती है । आज विज्ञान भी इस बात को साबित करने लगा है कि आदमी का रूपान्तरण हो सकता है। विज्ञान के अनुसार हमारे मस्तिष्क में आर० एन० ए० रसायन होता है, जो हमारी चेतना की परतों पर छाया रहता है। विज्ञान ने यह खोज निकाला है कि रसायन व्यक्ति के रूपान्तरण का घटक है। इसे घटाया बढ़ाया जा सकता है। इसके आधार पर ही रूपांतरण घटित होता है, आदतें बदलती हैं, पुरानी आदतों को छोड़कर नई आदतें डाली जा सकती हैं। जीवशास्त्री जेम्स ओल्ड्स ने एक प्रयोग किया। उसने चूहों के मस्तिष्क में एक प्रकार की विद्युत् तरंगें प्रसारित की। कुछ ही समय बाद उनके मन का भय भाग गया। वे चहे बिल्ली के सामने नि:संकोच आने-जाने लगे। उनका भय समाप्त हो गया। मस्तिष्क नियंत्रण और मैविक घड़ी श्वास नियंत्रण के द्वारा मस्तिष्क तरंग, हार्मोन के स्राव तथा चयापचय की क्रिया पर नियंत्रण किया जा सकता है। मनोवैज्ञानिकों की नयी खोजों से पता चला है कि स्वरचक्र की भांति दाएं-बाएं मस्तिष्क पटलों का भी एक चक्र है। मस्तिष्क का एक पटल नब्बे से सौ मिनट तक सक्रिय रहता है। उसके पश्चात् वह निष्क्रिय हो जाता है, दूसरा पटल सक्रिय हो Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 363 364 365 366 367 368 369 370 371 372 373 374