Book Title: Budhjan Satsai
Author(s): Budhjan Kavivar
Publisher: Todarmal Granthamala Jaipur

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Page 11
________________ (१२) बुधजन सतसई बैरकरो वा हित करो, होत सबलतें हारि । मीत भये गौरव घटे, शत्रु भये दे मारि । । ११० ।। जाकी प्रकृति करूर अति, मुलकत होय लखै न । भजे सदा आधीन परि, तजे जुद्ध में सैन । । १११ । । शिथिल वैन ढाढस विना, ताकी पैठ बने न । ज्यों प्रसिद्ध रितु सरद को, अम्बर' नेकु' झरे न' ।। ११२ ।। जतन थकी नर को मिले, विना जतन लें आन । वास भरि नर पीत हैं, पशु पीवें सब थान ।। ११३ ।। झूठी मीठी तनकसी, अधिकी मानें कौन । अनसरते' बोलो इसो, ज्यों आटे में नौन ।। ११४ । । ज्वारी विभिचारीनितें, डरे निकसतें गैल । मालनि ढांके टोकरा, छूटे लखिके छैल ।।११५ ।। औसर" लखिये बोलिये, जथाजोगता वैन । सावन भादौं बरसतें, सब ही पावें चैन ।।११६ ।। बोलि उठे औसर विना, ताका रहे न मान । जैसे कातिक वरसतें, निंदे सकल जहान । । ११७ । । लाज का खरचे दरब, लाज काज संग्राम । लाज गये सरवरस गयो, लाज पुरुष की माम ।। ११८ । । आरंभ्यों पूरन करे, कह्या वचन निरबाह । धीर सलज सुन्दर रमें, येते गुन नरमाह । । ११९ ।। ३. जरा भी, ४. बरसते नहीं हैं, ७. बरतन, ८. काम नहीं चल सकता, ११. उचित, १२. इज्जत १. विश्वास, ५. मनुष्य को, ९. नमक, २. बादल, ६. अन्य, १०. समय सुभाषित नीति उद्यम साहस धीरता, पराक्रमी मतिमान | एते गुन जा पुरुष में, सो निरभय बलवान ।। १२० ।। रोगी भोगी आलसी, बहमी हठी अज्ञान । ये गुन दारिदवान के, सदा रहत भयवान ।। १२१ । । अछती' आस विचारिके, छती देत छिटकाय । अछती मिलवो हाथ नहिं, तब कोरे रह जाय ।। १२२ ।। विनय भक्ति कर सबल की, निबल गोर सम भाय । हितू होय जीना भला, बैर सदा दुखदाय ।।१२३।। नदी तीर का रूखरा, करि^ विनु अंकुश नार । राजा मंत्रीतें रहित, विगरत लगे न वार ।।१२४ ।। महाराज महावृक्ष की, सुखदा शीतल छाय । सेवत फल लाभे' न तो, छाया तो रह जाय ।। १२५ ।। अति खानेतें रोग है, अति बोले जा मान । अति सोये धनहानि है, अति मति करो सयान" ।। १२६ ।। झूठ कपट कायर अधिक, साहस चंचल अंग । गान सलज आरंभनिपुन, तिय न तृपति रतिरंग ।। १२७ ।। दुगुण छुधा लज चौगुनी, षष्ठ गुनो विवसाय । काम व गुनो नारिके, वरन्यो सहज सुभाय ।।१२८ ।। पति चित हित अनुगामिनी, सलज शील कुलपाल । या लछमी" जा घर बसे, सो है सदा निहाल ।। १२९ ।। १. शक्की - संदेह करनेवाला, ४. वृक्ष, ७. देर, १०. सुजान, २. जी मौजूद नहीं है, ५. हाथी. ८. प्राप्त न हो तो. ११. स्त्री ३. गाय के, ६. बिगड़ते, ९. जाता है.

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