Book Title: Bruhadaloyana
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

View full book text
Previous | Next

Page 4
________________ ( 2 ) ॥ ७ ॥ प्रणमी पदपंकज ननी । यरिगंजन अरिहंत ॥ कथन करौं अब जीवको । किंचित मुज विरतंत ॥८॥ यारंन विषय कषाय वश । नमीयो काल अनंत ॥ लख चोराशी जो निसें । अब तारो भगवंत ॥ ए ॥ दे व गुरु धर्म सूत्रमें | नवतत्त्वादिक जोय ॥ यधिका dar जे ह्या । मिठा डक्कड मोय ॥ १० ॥ मोह य ज्ञान मिथ्यात्वको । जरीयो रोग प्रथाग ॥ वैद्यराज गुरु शरनथी । औषध ज्ञान वैराग ॥ ११ ॥ जे में जी व विराधिया । सेव्यां पाप चढार ॥ प्रभु तुमारी सा खसें । वार वार धिक्कार ॥ १२ ॥ बुरा बुरा सबको कहें । बुरा न दीसे कोय ॥ जो घट शोधे आपनो । तो मोसुं बुरा न कोय ॥ १३ ॥ कहेंवामें यावे नहीं । अवगुण नया अनंत ॥ लिखवामें क्युं कर लिखुं । जानो श्रीभगवंत ॥ १४ ॥ करुणानिधि कृपा करी । कठिण कर्म मोय छेद || मोह ज्ञान मिथ्यात्वको । करजो गंठी नेद ॥ १५ ॥ पतित उद्धारन नाथजी । अपनो बिरुद विचार ॥ नूल चूक सब माहरी । खमी ये वारंवार ॥ १६ ॥ माफ करो सब माहरा । या ज तलकना दोष ॥ दीन दयाल देवो मुजे । श्रद्धा शी संतोष ॥ १७ ॥ श्रातम निंदा शुद्ध जनी । गुनवं Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28