Book Title: Bruhadaloyana
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
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(१३) वतां हालता चालतां शस्त्र वस्त्र मकानादिक उपकर में करी उठावतां धरतां लेतां देतां वर्ततां वर्तावतां अप्पडिलेहणा उप्पडिलेहणा संबंधि अप्रमार्जना कुःप्रमार्जना संबंधी अधिकी बी विपरीत पुंजना प डिलेहणा संबंध। और आहार विहारादिक नाना प्र कारका घणा घणा कर्तव्योमा संख्याता असंख्याता अने निगोद बाश्रयी अनंता जीवका जितना प्राण लूंट्या ते सर्व जीवांका में पापी अपराधी हुँ। निश्चे करी बदलाका देणहार हूं, सर्व जीव मुजप्रतें माफ करो मेरी नूल चूक अवगुन अपराध सब माफ करो देवसी राइसी परकी चौमासी अने सांवत्सरिक संबं धि वारं वार मिहामि मुक्कडं वारं वार में खमा बुं. तुमें सर्वे खमजो. खामे मि सत्वजीवा, सचे जीवा ख मंतु मे ॥ मित्ति में सब नूएसु, वेरं मऊं न केण ॥ ॥ १ ॥१॥ वो दिन धन्य होवेगा जिस दिन में बही कायका वैर बदलासें निवर्तुंगा । सर्व चोराशी लाख जीवायोनिकू अनयदान देनंगा सो दिन मैरा परम कल्याणका होवेगा ॥
॥ दोहा ॥ ॥ सुख दीया सुख होत है । फुःख दिया उख
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