Book Title: Bruhadaloyana
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 17
________________ (१५) रित्र अरु तपकी श्रीनगवंत गुरु देवोंकी अण बाझा बिणायें कस्या ते मुजे धिक्कार धिक्कार वारंवार मिना मि उक्कडं । सो दिन मैरा धन्य होवेगा जिस दिन सर्व था प्रकारें अदत्तादानका त्याग करुंगा वो दिन मैरा पर म कल्याणका होवेगा ॥३॥ चोथा मैथुन सेवने विषे मन वचन अरु कायाका योग प्रवर्तीया,नव वाड स हित ब्रह्मचर्य नही पाल्या, नव वाडमें अशुभ पणे प्र वृत्ति दुश्,आप सेव्या अनेरा पास सेवाया,सेवतां प्र त्य नला जाण्या, सो मन वचन कायायें करी मुजे धिक्कार धिक्कार वारं वार मिनामि उक्कडं ॥ वो दिन मैरा धन्य होवेगा जिस दिन में नववाड सहित ब्रह्म चर्य शील रत्न धाराधुंगा. सर्वथा प्रकारे कामविकार सें निवागा. सो दिन मैरा परम कल्याणका होवेगा ॥४॥ पांचमा परिग्रह सो सचित्त परिग्रह तो दा स दासी उपद चनपद प्रमुख मणि पबर प्रमुख अ नेक प्रकारका है अरु अचित्त परिग्रह जो सोना रू पा वस्त्र आनरण प्रमुख अनेक वस्तु है तिनकी म मता मूळ आपणात करी, क्षेत्र घर आदिक नव प्र कारका बाह्य परिग्रह अरु चौद प्रकारका अन्यंतर प रिग्रहकों राख्यो रवायो राखताने अनुमोद्यो तथारा Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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